राष्ट्राभिमान की प्रज्जवलित अग्निशिखा हैं ठाकरेजी

ठाकरे जी से मेरा सम्पर्क काफी पुराना है। 1953-54 में जब मैं भारतीय जनसंघ का एक साामान्य कार्यकर्ता था, शायद तभी से उनसे मेरा सम्पर्क

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ठाकरेजी का रोम-रोम राष्ट्र के लिए समर्पित

1957 की घटना है। मध्यप्रदेश के सुदूर अंचल खरसिया में कुशाभाऊ जी ठाकरे जनसंघ के प्रवास पर पहली बार आये। प्रत्यक्ष रूप से मेरी भेंट

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