वेंकैया गारू- भारत की सेवा में समर्पित जीवननरेंद्र मोदी

वेंकैया गारू- भारत की सेवा में समर्पित जीवननरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी

आज भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय राजनीति में शुचिता के प्रतीक एम. वेंकैया नायडू गारू का जन्म दिवस है। वेंकैया नायडू आज 75 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने राष्ट्रसेवा और जनसेवा को हमेशा सर्वोपरि रखा। मैं उनके दीर्घायु होने और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। देश में उनके लाखों शुभचिंतकों और समर्थकों को भी बधाई देता हूं। वेंकैया का 75वां जन्मदिवस एक विशाल व्यक्तित्व की व्यापक उपलब्धियों को समेटे हुए है। उनका जीवन सेवा व समर्पण की ऐसी यात्रा है, जिसके बारे में सभी देशवासियों को जानना चाहिए।

राजनीति में अपने शुरुआती दिनों से लेकर उपराष्ट्रपति जैसे शीर्ष पद तक,नायडू गारू ने भारतीय राजनीति की जटिलताओं को जितनी सरलता और विनम्रता से पार किया, वो अपने आपमें एक उदाहरण है। उनकी वाकपटुता, हाजिरजवाबी और विकास से जुड़े मुद्दों के प्रति उनकी सक्रियता के कारण उन्हें दलगत राजनीति से इतर हर पार्टी में सम्मान मिला है। वेंकैया गारू और मैं दशकों से एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। हमने लंबे समय तक अलग-अलग दायित्वों को संभालते हुए साथ काम किया है, और मैंने हर भूमिका में उनसे बहुत कुछ सीखा है। मैंने देखा है, जीवन के हर पड़ाव पर आम लोगों के प्रति उनका स्नेह कभी नहीं बदला। वेंकैया सक्रिय राजनीति से आंध्र प्रदेश में छात्र नेता के रूप में जुड़े थे। उन्होंने राजनीति के पहले पड़ाव पर ही प्रतिभा, वक्तृत्व क्षमता और संगठन कौशल की अलग छाप छोड़ी थी। किसी भी राजनीतिक दल में उन्हें कम समय में बड़ा स्थान मिल सकता था। लेकिन उन्होंने संघ परिवार के साथ काम करना पसंद किया, क्योंकि उनकी आस्था राष्ट्र प्रथम के विजन में थी। उन्होंने विचारधारा को व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखा और बाद में जनसंघ एवं भाजपा को मजबूत किया।

लगभग 50 साल पहले जब कांग्रेस पार्टी ने देश में एमरजेंसी लगायी, तब युवा वेंकैया गारू ने आपातकाल विरोधी आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्हें लोकनायक जेपी को आंध्र प्रदेश में आमंत्रित करने के लिए जेल जाना पड़ा। लोकतंत्र के लिए उनकी यह प्रतिबद्धता, उनके राजनीतिक जीवन में हर जगह दिखाई देती है। 1980 के दशक के मध्य में, जब एनटीआर की सरकार को कांग्रेस ने गलत तरीके से बर्खास्त कर दिया, तब वे फिर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए हुए आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में थे। 1978 में आंध्र प्रदेश ने जब कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया, तब वेंकैया प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद युवा विधायक के रूप में जीतकर आए। पांच साल बाद, प्रांतीय चुनाव में एनटीआर की लोकप्रियता सर्वोच्च स्तर पर थी। तब भी वे भाजपा के विधायक चुने गए। उनकी जीत ने आंध्र समेत दक्षिण में भाजपा के लिए भविष्य के बीज बोये थे। युवा विधायक के रूप में ही वे विधायी मामलों में अपनी दृढ़ता और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की आवाज उठाने के लिए सम्मानित होने लगे। उनकी वाकपटुता और संगठन सामर्थ्य से प्रभावित होकर एनटीआर जैसे दिग्गज ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। वे उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाहते थे, लेकिन वेंकैया गारू हमेशा की तरह अपनी मूल विचारधारा पर अडिग रहे। उन्होंने आंध्र प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई, गांव-गांव जाकर सभी क्षेत्रों के लोगों से जुड़े। उन्होंने विधानसभा में पार्टी का नेतृत्व किया और आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी बने।

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