तीस्ता प्रबंधन के बहाने पेइचिंग का खेल

तीस्ता प्रबंधन के बहाने पेइचिंग का खेल

पुष्परंजन

कुल 315 किलोमीटर लंबी तीस्ता नदी सिक्किम, पश्चिम बंगाल से बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है, और ब्रह्मपुत्र में समाहित हो जाती है। तीस्ता पर भारत-बांग्लादेश के बीच कब समझौता होगा, किस देश को कितना पानी मिलेगा? फिलहाल यह साफ नहीं है। बांग्लादेश को 48 फीसदी तीस्ता का पानी चाहिए, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की दलील है कि ऐसी स्थिति में उत्तर बंगाल के छह जिलों में सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी। बंगाल इसके लिए जब तैयार नहीं है, तो फ़िर तीस्ता समझौता कैसे परवान चढ़ेगा? इस सवाल का ठोस उत्तर देने से दिल्ली भी बच रहा है। शेख़ हसीना की हालिया दिल्ली यात्रा और उभयपक्षीय समझौतों से हम चाहे जितना खुश हो लें, लेकिन तीस्ता कहीं न कहीं कड़वाहट का कारण बन रहा है। बांग्लादेश में विपक्ष और वहां का मीडिया फुंका पड़ा है। उनका मानना है कि तीस्ता जल में हिस्सेदारी के बग़ैर सारे समझौते बेकार हैं।

तीस्ता जल समझौते को अंतिम रूप देने का मामला जनवरी, 2011 से अधर में लटका पड़ा है। बांग्लादेश और भारत के बीच प्रधानमंत्री स्तर की बैठकों में इसकी चर्चा होती है, शीघ्र समापन के आश्वासन के साथ बात आई-गई हो जाती है। अनुरोध और आश्वासन का सिलसिला समाप्त नहीं हुआ। बजाय इसके, घोषणा यह की गई कि एक भारतीय तकनीकी टीम जल्द ही बांग्लादेश का दौरा करेगी, ताकि बांग्लादेश के अंदर ‘तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन’ पर चर्चा की जा सके। ‘नदी संरक्षण और प्रबंधन’ से भारत का क्या अभिप्राय था? इस पर भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया, ‘यह जल-बंटवारे के बारे में कम, बल्कि तीस्ता नदी के भीतर जल प्रवाह के प्रबंधन के बारे में अधिक है।’ बांग्लादेश के विश्लेषक मानते हैं कि तीस्ता जल-बंटवारे पर चर्चा को हाशिये पर छोड़ दिया गया। वो पूछते हैं, क्या तीस्ता जल बंटवारे को जान-बूझकर विषय से बाहर किया गया है? बांग्लादेश में तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और पुनरुद्धार परियोजना (टीआरसीएमआरपी) पर चर्चा पिछले कुछ वर्षों से चल रही है। तीस्ता जल धारा को फिर से बहाल करने की इस मेगा परियोजना को चीन की वित्तीय और तकनीकी सहायता से क्रियान्वित किया जाना है। 2016 से ही चीन और बांग्लादेश इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं। चीन के कूद पड़ने से ऐसा लगता है कि इस परियोजना में दिलचस्पी लेना भारत की मज़बूरी बन चुकी है। सितंबर 2016 में, बांग्लादेश जल विकास बोर्ड ने उत्तरी बांग्लादेश के ग्रेटर रंगपुर क्षेत्र में तीस्ता को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए चीन के पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के साथ एक ‘एमओयू’ पर हस्ताक्षर किए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

English Website