चहल, सैमसन और यशस्वी बिना खेले ही बन गये चैंपियन

चहल, सैमसन और यशस्वी बिना खेले ही बन गये चैंपियन

भारतीय क्रिकेट टीम ने एक दशक के बाद आईसीसी ट्रॉफी जीती है , इसके लिए टीम के सभी खिलाड़ियों ने दबाव में आये बिना ही शानदार प्रदर्शन किया। इससे टीम में बेहद खुशी का माहौल है। टीम को 13 साल के बाद खिताब मिला है। इससे पहले टीम ने 2014 में चैम्पयंस ट्रॉफी जीती थी। उसके बाद से ही टीम सेमीफाइनल या फाइनल में हार से बाहर हो जाती थी। इस विश्वकप में युजवेंद्र चहल, संजू सैमसन और यशस्वी जायसवाल ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्हें एक भी मैच खेलने का अवसर नहीं मिला। भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज और अमेरिका में संयुक्त रुप से हुए इस विश्वकप में 8 मैच खेलकर सभी में जीत दर्ज की। इस दौरान चहल, सैमसन और यशस्वी को एक भी मैच में अंतिम ग्यारह में जगह नहीं मिली। चहल टीम में दूसरे विशेषज्ञ स्पिनर थे। वहीं पहले नंबर पर कुलदीप यादव थे। कुलदीप ने टूर्नामेंट में शुरु से इतना प्रभावी प्रदर्शन किया कि चहल को अवसर ही नहीं मिल पाया। वहीं विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन को इसलिए अवसर नहीं मिला क्योंकि विकेकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने भी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग में अपने प्रदर्शन से टीम को किसी और नाम पर विचार करने ही नहीं दिया। यह लगातार दूसरा विश्व कप है, जब युजवेंद्र चहल टीम में तो चुने गए, लेकिन अंतिम ग्याहर में जगह नहीं बना सके। युजवेंद्र और सैमसन को पहले ही इस बात का अंदाजा रहा होगा कि उन्हें शायद ही अंतिम ग्याहर में जगह मिले पर यशस्वी साथ ऐसा नहीं हैं। वे टीम के विशेषज्ञ ओपनर हैं। टीम में रोहित के अलावा सिर्फ वही एक विशेषज्ञ ओपनर थे। ऐसे में यशस्वी को अंतिम ग्यारह में जगह की उम्मीद थी पर रोहित ने टीम में बदलाव नहीं किया जिससे उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। भारतीय क्रिकेट टीम के साथ रिंकू सिंह

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