पटना। केंद्र सरकार में मंत्री बन चुके बगावती चाचा पशुपति कुमार पारस और उनके गुट पर शिकंजा कसने के लिए चिराग पासवान फिर से अपनी लीगल सेल के साथ बड़ी प्लानिंग कर रहे हैं। पहले की प्लानिंग में भले ही उन्हें अब तक कुछ खास सफलता नहीं मिली हो। लेकिन इस बार वो ठोस तरीके से अपनी प्लानिंग को अंजाम देने में जुटे हैं। चिराग की कोशिश है कि पार्टी से निष्कासित किए जा चुके चाचा समेत सभी बागी सांसद और दूसरे नेता लोकजनशक्ति पार्टी का नाम, पहचान, चिन्ह और स्लोगन का इस्तेमाल नहीं कर सकें। हर हाल में इसके इस्तेमाल को रोका जा सके।
इसके लिए जल्द ही वो केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष एक लेटर लिख कर भेजने वाले हैं। लेटर के जरिए पार्टी के नाम, पहचान, चिन्ह और स्लोगन के दुरुपयोग को रोकने की है। प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के अनुसार पशुपति कुमार पारस समेत कई लोग लोजपा के नाम और पहचान का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। जो कहीं से सही नहीं है। दुरुपयोग को रोकने के लिए चुनाव आयोग से मांग की जाएगी। क्योंकि, अभी तक पशुपति कुमार पारस की तरफ से चुनाव आयोग के सामने किसी प्रकार का दावा पेश नहीं किया गया है। न सिंबल पर और न कुर्सी पर।
आयोग में लटका पड़ा है मामला
लोकजनशक्ति पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनावों के दरम्यान कब कितना खर्च किया? इसकी पूरी डिटेल तो चिराग पासवान से ही मांगी गई है। हालांकि, लोजपा किसकी है? उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हैं? चाचा-भतीजे के बीच की लड़ाई का यह मामला अब तक चुनाव आयोग के पास लटका पड़ा है। लोजपा की लीगल सेल अभी भी इसे वॉच कर रही है। आयोग के फैसले का आने इंतजार कर रही है। वक्त कितना लगेगा? इस बारे में अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
डबल बेंच में करेंगे अपील
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पशुपति कुमार पारस को लोजपा के संसदीय दल के नेता होने की मान्यता प्रदान कर दी थी। इसी फैसले की वजह से वो केंद्र में मंत्री भी बन गए। लोकसभा अध्यक्ष के इस फैसले को चुनौती देते हुए 7 जुलाई को लोजपा की तरफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक अपील दायर की गई थी। जो बाद में खारिज कर हो गई। अब इस मामले में लोजपा दिल्ली हाईकोर्ट के डबल बेंच पर अपील करने वाली है। इसकी तैयारी पूरी हो गई है। लीगल सेल के साथ हुए मीटिंग में चिराग ने इस मामले में फैसला ले लिया है।