नई दिल्ली, | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार की सायं 5 बजे से राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? “
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने एक साल के भीतर ही एक नहीं, बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी। हमारे देश ने, वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था। हमारी ²ष्टि में ये चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण चल रहा था, उस हिसाब से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को शुरू किया। हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया। हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को भी भारत के टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया। क्योंकि हमें देश के बच्चों की चिंता थी, हमें गरीबों की चिंता थी।”