मुंबई, | शिवसेना ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी न उतारने और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का समर्थन करने फैसला किया है।
शिवसेना सांसद और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि चूंकि पश्चिम बंगाल के चुनाव दीदी बनाम ऑल (ममता बनाम बाकी सभी) की तरह हो रहे हैं, ऐसे में शिवसेना ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है, लेकिन पार्टी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एकजुटता से खड़ी रहेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शिवसेना अध्यक्ष और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया है।
संजय राउत ने अपने बयान में कहा, “बहुत सारे लोगों को यह जानने की जिज्ञासा है कि क्या शिवसेना पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी या नहीं? पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ बैठक में इस बारे में जो फैसला लिया गया है, वो मैं आपको बता देता हूं। इस समय पश्चिम बंगाल में जो सियासी हालात हैं, उसे देखकर लगता है कि चुनावी जंग में एक तरफ दीदी और दूसरी तरफ बाकी सब हैं।”
उन्होंने कहा, “सभी एम फैक्टर जैसे- मनी, मसल और मीडिया का इस्तेमाल ममता दीदी को हराने के लिए किया जा रहा है। इसलिए शिवसेना ने पश्चिम बंगाल चुनाव न लड़ने और ममता बनर्जी को समर्थन देने का फैसला लिया है। हमें विश्वास है कि ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में एक गर्जना भरी जीत हासिल करेंगी, क्योंकि दीदी रियल बंगाल टाइग्रेस (बंगाल की असली शेरनी) हैं।”
हालांकि, एमवीए के सूत्रों ने कहा कि ये कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि पश्चिम बंगाल चुनावों में मतों का विभाजन न हो और तृणमूल की संभावनाओं को भाजपा की वजह से कोई नुकसान न पहुंचे। हालांकि इससे पहले शिवसेना प्रदेश की लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी।
संपूर्ण भारतीय राजनीति में अपनी उपस्थिति हासिल करने की रणनीति के तहत, जनवरी में शिवसेना ने पश्चिम बंगाल में चुनावी बिगुल बजाने की योजना की घोषणा की थी, जहां उसने 2016 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन वह कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी थी।
इससे पहले शिवसेना ने पश्चिम बंगाल के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर और गोवा सहित विभिन्न राज्यों में विभिन्न चुनाव लड़े हैं। फिलहाल शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ गठबंधन में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी है।
संयोग से शिवसेना के सत्तारूढ़ सहयोगी राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ममता बनर्जी को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय और राज्य के विपक्षी दलों के साथ महागठबंधन बनाने की योजना के तहत कोलकाता का दौरा करेंगे।
इसी तरह, राजनीतिक स्रोत भी महाराष्ट्र में एमवीए जैसे प्रयोग की बंगाल में पुनरावृत्ति की संभावना से इनकार नहीं करते हैं। यानी यहां भी शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस जैसी अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल हाथ मिला सकते हैं। पश्चिम बंगाल में अगर किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है, तब ऐसी स्थिति में अन्य विपरीत विचारधारा वाले दलों की अहमियत भी बढ़ जाती है।
राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “महाराष्ट्र में अकल्पनीय हुआ और यह सुचारु रूप से काम भी कर रहा है। कुछ भी संभव है। यह पश्चिम बंगाल में भी संभव है।”