वायरस ट्रेसेबिलिटी पर अमेरिका की पारदर्शिता कहां है?

वायरस ट्रेसेबिलिटी पर अमेरिका की पारदर्शिता कहां है?

बीजिंग, | 27 जुलाई को इंटरनेट पर अमेरिकी फोर्ट डेट्रिक बायोलैब की जांच करने वाली अपील पर समर्थकों की संख्या 15 मिलियन से अधिक तक हो गयी है। अमेरिका ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। और संबंधित वेबसाइट पर अमेरिका की ओर से जबरदस्त हमला किया गया है। उधर अमेरिका हमेशा लोकतंत्र और बोलने की स्वतंत्रता को अपने मूल सिद्धांतों के रूप में मानने का दावा करता है। लेकिन इंटरनेट लोकमत के प्रति अमेरिका ने क्यों खामोश रहना चुना है। वायरस ट्रेसबिलिटी के मुद्दे पर चीनी सरकार और चीनी लोग हमेशा विज्ञान और तथ्यों के सम्मान की वकालत की है। यानी वायरस की ट्रेसबिलिटी के मुद्दे को वैज्ञानिक तरीकों से हल किया जाना चाहिए। लेकिन अमेरिका अपने आधिपत्य के लिए संभावित खतरों को खत्म करने की साजिश में, चीन को पूरी तरह से हराने के लिए ट्रेसबिलिटी का उपयोग करने का इरादा रखता है। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ की जांच रिपोर्ट को जबरन उलट दिया, और चीनी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की दूसरी बार जांच करने की मांग की। उधर अमेरिका ने दुनिया भर में स्थापित अपने दो सौ से अधिक जैविक अनुसंधान संस्थानों, विशेष रूप से फोर्ट डेट्रिक जैविक प्रयोगशाले की जांच करने पर प्रतिबंध लगा दिया। करोड़ों नेटिजन्स के जनमत का सम्मान क्यों नहीं करता है अमेरिका? और वह खुलेपन और पारदर्शिता के सिद्धांतों का पालन क्यों नहीं करता है?

इस साल जून में, कुछ चीनी नेटिजन्स ने एक खुला पत्र जारी कर डब्ल्यूएचओ को ट्रेसबिलिटी जांच के दूसरे चरण में फोर्ट डेट्रिक बायोलैब को शामिल करवाने की इच्छा व्यक्त की। नेटिजेंस का मानना है कि यदि वायरस वास्तव में किसी प्रयोगशाला से आया है, तो अमेरिकी फोर्ट डेट्रिक वह वस्तु है जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है। क्योंकि इस प्रयोगशाला में न केवल बड़ी संख्या में सार्स और इबोला जैसे वायरस होते हैं, बल्कि खतरनाक वायरस प्रयोग भी होते हैं। 2019 में कोविड-19 महामारी के पहले फोर्ट डेट्रिक बायोलैब में एक गंभीर वायरस रिसाव हुआ था। लेकिन अमेरिकी सरकार ने जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, चिकित्सा पेशेवरों के अनुसार, 2019 में अमेरिका में ई-सिगरेट फेफड़े की बीमारी के प्रकोप की छवियां वायरल निमोनिया संक्रमण की तरह हैं। कुछ चिकित्सा कर्मचारियों ने अपने कागजात में पुष्टि की है कि ई-सिगरेट निमोनिया को कोविड-19 निमोनिया से अलग करना मुश्किल है। इसके अलावा इटली, स्पेन, फ्रांस और अन्य जगहों पर न्यू कोरोना वायरस के पहले फैलने के निशान भी मिले। मार्च 2020 में, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के तत्कालीन निदेशक रेडफील्ड ने भी स्वीकार किया कि अमेरिका में कुछ पिछली फ्लू से मौतें हुई थीं और बाद में उन्हें न्यू कोरोना निमोनिया का पता चला था। इसके आधार पर, लोग मान सकते हैं कि चीन के वुहान में प्रकोप होने से पहले ही अमेरिका आदि में न्यू कोरोना वायरस मौजूद था।

हालांकि, अमेरिका ने चीनी नेटिजन्स की न्याय मांगों को अस्वीकृत करने के साथ-साथ वुहान रिसर्च इंस्टीट्यूट को बदनाम करने की पूरी कोशिश की। अमेरिकी मीडिया ब्लूमबर्ग ने एक रैंकिंग सूची भी तैयार की, जिसने 35 मिलियन पुष्ट मामले और 6.1 लाख मौतों होने वाले अमेरिका को महामारी के खिलाफ लड़ाई में दुनिया में सबसे सफल देश का टाइटल समर्पित कर दिया। चीनी नेटिजन्स ने 17 जुलाई को अमेरिकी फोर्ट डेट्रिक प्रयोगशाला की गहन जांच का एक बार फिर अनुरोध किया, और इंटरनेट पर एक जनमत हस्ताक्षर संग्रह गतिविधि शुरू की। 27 जुलाई तक अपील का समर्थन करने वाले हस्ताक्षरों की संख्या 15 मिलियन तक जा पहुंची है और मात्रा अभी भी तेजी से बढ़ रही है।

वास्तव में, अमेरिका दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जिसने जैविक और रासायनिक हथियारों का उपयोग किया था। कोरियाई युद्ध में अमेरिकी सेना ने जीवाणु हथियारों का इस्तेमाल किया था, जिससे चीनी और कोरियाई सैनिक हताहत हुए और अमेरिकी वायु सेना ने वियतनाम युद्ध के दौरान रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया था, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में विकृत बच्चों की उपस्थिति हुई। ये जैव रासायनिक हथियार फोर्ट डेट्रिक जैसे अमेरिकी शोध संस्थानों से आए थे। इस के अतिरिक्त अमेरिका ने अब तक अंतर्राष्ट्रीय जैविक हथियार प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।

फिलीपींस के प्रसिद्धटिप्पणीकार हरमन टीयू लॉरेल ने हाल ही में फोर्ट डेट्रिक में जैविक प्रयोगशाला की गहन जांच करने के लिए एक लेख जारी किया, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका ने महामारी के बारे में चीन के खिलाफ बार-बार आरोप लगाया है, लेकिन अमेरिकी सरकार ने अमेरिका में ही संबंधित जांच करने की अनुमति नहीं देता। चीन ने डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ टीम को वुहान में फील्ड ट्रिप करने के लिए आमंत्रित किया है। वायरस ट्रेसेब्लिटी के सवाल पर चीन ने कुछ भी नहीं छुपाया। अब ट्रेसेब्लिटी का काम विश्व के हरेक कोने में करना चाहिए, विशेष रूप से अमेरिका में।

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