म्यांमार : सेना ने क्षेत्रीय नेताओं व मुख्यमंत्रियों को रिहा किया

म्यांमार : सेना ने क्षेत्रीय नेताओं व मुख्यमंत्रियों को रिहा किया

ने पी तॉ, | म्यांमार में तख्तापलट के एक दिन बाद मंगलवार को सेना ने हिरासत में लिए गए अधिकांश क्षेत्रीय नेताओं और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को रिहा कर दिया। लेकिन, स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंत की रिहाई के बारे में अभी कोई सूचना नहीं है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक सैन्य अधिकारी के हवाले से कहा कि मुख्यमंत्रियों में फेरबेदल हो सकता है। मौजूदा के स्थान पर योग्य लोगों को नियुक्त किया जा सकता है।

सूत्र ने कहा कि सू की की सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के सांसद भी रिहा किए गए सरकारी अधिकारियों में शामिल थे।

गौरतलब है कि तख्तापलट के कुछ ही घंटे बाद तातमाडॉ के नाम से जानी जाने वाली सेना ने एक बड़े कैबिनेट फेरबदल की भी घोषणा की थी, जिसके तहत 11 मंत्रालयों के लिए नई नियुक्तियां हुईं, जबकि 24 उप-मंत्रियों को हटा दिया गया।

सेना के एक बयान के अनुसार, संघ के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश, क्षेत्रीय या राज्य उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों को पद पर बने रहने की अनुमति है।

भ्रष्टाचार-रोधी आयोग के सदस्य और म्यांमार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष भी अपने पदों पर बने रहेंगे।

बयान में कहा गया है कि ने पी तॉ परिषद और यूनियन सिविल सर्विस बोर्ड के अध्यक्षों और सदस्यों को उनके पदों से हटा दिया जाएगा। यूनियन सिविल सर्विस बोर्ड के एक नए अध्यक्ष की नियुक्ति की गई थी।

तख्तापलट के मद्देनजर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने लोगों का आह्वान किया है कि वे इस सैन्य कार्रवाई के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करें। उन्होंने यह भी कहा है कि सोमवार की घटना ने पूरे देश को एक बार फिर तानाशाही के दौर में धकेल दिया है।

असैनिक सरकार और सेना के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर सोमवार तड़के राष्ट्रपति विन मिंत, स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और सत्तारूढ़ नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी, जो एक साल तक चलेगी।

म्यांमार में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसे सेना ने फर्जी बताया है और इसके बाद सैनिक विद्रोह की आशंकाएं बढ़ गई थीं। तख्ता पलट के बाद सेना ने देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने जनरल को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है। नवंबर, 2020 में आम चुनावों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच गतिरोध बना हुआ है।

सेना का कहना है कि 8 नवंबर, 2020 को जो आम चुनाव हुए थे, वे फर्जी थे। इस चुनाव में सू की की एनएलडी पार्टी को संसद में 83 प्रतिशत सीटें मिली थीं, जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त थीं।

सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। हालांकि चुनाव आयोग उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था। इस कथित फर्जीवाड़े के बाद सेना ने हाल ही में कार्रवाई की धमकी दी थी। इसके बाद से ही तख्ता पलट की आशंकाएं बढ़ गई थीं।

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