बीते साल अमेरिकी स्टाइल वाले लोकतंत्र की हार है’

बीते साल अमेरिकी स्टाइल वाले लोकतंत्र की हार है’

बीजिंग : 20 जनवरी को मौजूदा अमेरिकी नेता के सत्ता पर आने की वर्षगांठ थी। ब्रिटिश स्काई न्यूज ने रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए कहा कि अमेरिकी नेता के लिए यह एक जख्मी साल है। हाल में अमेरिका में महामारी की स्थिति गंभीर रही, देश में मुद्रास्फीती दर बढ़ती रही और राजनीतिक विवाद तेज रहा.. अमेरिकी राष्ट्रपति के पद ग्रहण की रस्म में दिये गये सभी वचनों को साकार नहीं किया गया।

हाल में अमेरिका में महामारी की वजह से मृत लोगों की संख्या करीब 9 लाख तक जा पहुंची, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 5 लाख की बढ़ोतरी हुई। एक साल पहले की तुलना में पुष्ट मामलों की संख्या भी तीन गुना हो गयी है। यह संख्या महामारी के मुकाबले में अमेरिका की हार का प्रत्यक्ष साबित है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के मुंह में अमेरिका में बेरोजगारी दर की गिरावट और आर्थिक विकास जैसी तथाकथित उपलब्धियां विशेष वित्तीय नीति में झूठी समृद्धि है। अमेरिका में राजनीतिक अलगाव और तीव्र हो गया, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के जल्दबाजी हटने और तथाकथित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन की विफलता आदि से साबित हुआ कि चाहे अमेरिका में कोई भी नेता सत्ता पर आसीन हो, अमेरिका वही अमेरिका रहेगा। यह अमेरिकी लोकतंत्र तंत्र की विफलता का जरूरी परिणाम है।

एक साल के तथ्य ने हमें बताया कि यह किसी एक उम्मीदवारी की हार नहीं है, जबकि अमेरिकी स्टाइल वाले लोकतंत्र की हार है।

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