पाक तालिबान की खैबर पख्तूनख्वा पर पकड़ मजबूत

पाक तालिबान की खैबर पख्तूनख्वा पर पकड़ मजबूत

पेशावर : तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की खैबर पख्तूनख्वा में वापसी और इसके तेजी से बढ़ते नियंत्रण ने पाकिस्तान के लिए तबाही मचा दी है। आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन विश्वविद्यालय में पाकिस्तान की सुरक्षा विशेषज्ञ आयशा सिद्दीका अफगानिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमाओं पर तालिबान की बढ़ती दखल को रोकने में पाकिस्तानी सेना की बहुत कम दिलचस्पी देखती हैं।

वह कहती हैं कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के घरेलू युद्ध के शुरुआती दौर के विपरीत, इस्लामाबाद को पश्चिमी वित्तीय सहायता, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से उदार धन प्राप्त होने की संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा, “अब, पैसे नहीं होने के कारण पाकिस्तानी सेना तालिबान से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि खैबर पख्तूनख्वा में जबरन वसूली हो रही है।”

सिद्दीका का कहना है कि टीटीपी की खैबर पख्तूनख्वा में वापसी और इसका तेजी से बढ़ता नियंत्रण पाकिस्तान के लिए त्रासदी है।

उन्होंने जोर देकर कहा, “खैबर पख्तूनख्वा में जो शुरू होगा, वह खैबर पख्तूनख्वा में खत्म नहीं होगा। यह पूरे देश में फैल जाएगा।”

हालांकि मीडिया में रिपोर्ट नहीं की गई, टीटीपी की जबरन वसूली अब खैबर पख्तूनख्वा में इतनी व्यापक है कि 20 सितंबर को समूह ने एक बयान जारी कर लोगों से प्रांत के कई उत्तरी जिलों में जबरन वसूली नहीं करने का आह्वान किया।

आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीका ने कहा, “अगर कोई आपसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नाम पर शटडाउन के लिए कहता है, तो कृपया हमसे संपर्क करें, ताकि हम उन्हें बेनकाब कर सकें।”

तालिबान की जबरन वसूली में खतरनाक वृद्धि के बावजूद इस मुद्दे पर अभी तक हुकूमत का ध्यान नहीं गया है।

पिछले महीने पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने टीटीपी आतंकवादियों की वापसी को ‘गलत धारणा’ के रूप में वर्णित किया, जो ‘बेहद अतिरंजित और भ्रामक’ है। इसने समूह से जरूरत पड़ने पर पूरी ताकत से निपटने का वादा किया है।

लेकिन खैबर पख्तूनख्वा में विपक्षी नेता आश्वस्त नहीं हैं। धर्मनिरपेक्ष अवामी नेशनल पार्टी के एक प्रमुख नेता और विधायक सरदार हुसैन बाबाक का कहना है कि तालिबान खैबर पख्तूनख्वा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।

उन्होंने पिछले हफ्ते सांसदों से कहा, “इस प्रांत में मेरे सहित हर संपन्न व्यक्ति को (तालिबान से) धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं।”

सिद्दीका ने कहा, “हमने बार-बार सरकार से कार्रवाई की मांग की है, लेकिन उसके पास कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं देखी है।”

खैबर पख्तूनख्वा में जून के बाद से दर्जनों बार शोर-शराबे और धरना-प्रदर्शन का दौर चला है। इस कारण पाकिस्तानी अधिकारियों पर प्रांत में लौटने वाले लोगों को तालिबान आतंकवादियों से बचाने के लिए दबाव डाला गया है।

हालांकि, पाकिस्तानी सेना का कहना है कि वह देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सेना के मीडिया कार्यालय ने कहा, “पाकिस्तानी सेना आतंकवाद के खतरे के खिलाफ पाकिस्तान की सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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