तिब्बतियों की गुहार, तिब्बत की आजादी और चीनी सरकार के दमन के खिलाफ खुलकर समर्थन करे भारत

तिब्बतियों की गुहार, तिब्बत की आजादी और चीनी सरकार के दमन के खिलाफ खुलकर समर्थन करे भारत

ल्हासा। भारत में रह रहे विस्थापित तिब्बतियों ने भारत से गुहार लगाई है कि तिब्बत की आजादी के लिए वो खुलकर समर्थन करे। विस्थापित तिब्बतियों ने चीन सरकार के दमन को लेकर भारत सरकार से खुलकर समर्थन देने की गुहार लगाई है और कहा कि तिब्बत की आजादी न केवल भारत बल्कि दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया की सुरक्षा के लिए बहुत ही अहम है। तिब्बत की स्वतंत्रता एवं तिब्बतियों के मानवीय एवं राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्षरत तिब्बत महिला संघ की महिलाओं ने तिब्बती महिलाओं के विद्रोह की 62वीं वर्षगांठ के मौके पर यह बात कही।

संगठन की एक पदाधिकारी ने यहां कहा कि यह बात सही है कि भारत में किसी भी दल की सरकार रही हो, विस्थापित तिब्बतियों के शरणार्थी शिविरों एवं मानवीय सुविधाओं एवं सहायता के लिए हमेशा ही उदार एवं सहयोगी रुख ही अपनाया है और तिब्बतियों को भारत एवं भारत के लोगों का समर्थन एवं स्नेह मिला है। उन्होंने कहा कि जहां तक चीन के तिब्बत पर अवैध कब्जे की बात है, तो भारत की ओर से उस तरह का राजनीतिक समर्थन नहीं मिला है। भारत में सरकारें चीन को खुश करने में ही लगीं रहीं। अब ये सब जानते हैं कि उसका कितना फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि बहुत पहले से ही कहा जाता रहा है कि तिब्बत की आज़ादी भारत की सुरक्षा की गारंटी है तो भारत को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार एवं सेना तिब्बत में चीनी हान समुदाय के लोगों की संख्या और सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ा रही है।

वहां परमाणु हथियारों का जमावड़ा भी बढ़ाया जा रहा है। इससे ना केवल तिब्बत बल्कि भारत, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, म्यांमार सहित दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक पड़ोसी देशों के लिए खतरा है। इस मौके पर जारी एक बयान में तिब्बत महिला संघ ने चार मांगें दोहरायीं। पहली- चीन पर परम पावन 14वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करने का दबाव डाला जाए। दूसरी-संयुक्त राष्ट्र संघ चीन पर 11वें पंचेन लामा सहित सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का दबाव बनाए। दलाई लामा के बाद दूसरे सर्वोच्च तिब्बती आध्यात्मिक नेता पंचेन लामा 1995 में छह वर्ष की आयु में चीनी सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिए गए थे। तीसरी मांग- 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के अवतार की खोज में चीनी सरकार की दखलंदाज़ी का विरोध किया जाए तथा चौथी मांग है कि चीनी सरकार पर चीन में मानवाधिकारों की स्थिति सुधारने का दबाव डाला जाए।

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