चीन-भारत संबंध में नये मौके के आसार

चीन-भारत संबंध में नये मौके के आसार

बीजिंग : चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने 7 मार्च को हुई प्रेस वार्ता में आशा व्यक्त की कि चीन और भारत को एक दूसरे की सफलता के लिए साझेदार बनना चाहिए। उन्होंने बल दिया कि हमें द्विपक्षीय संबंधों का सही रास्ते पर चलने को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने एक ऐसे भारतीय कहावत का हवाला भी दिया कि भाई की नैया पार लगाने में मदद करने से खुद भी किनारे पहुंच जाएंगे। वांग यी ने कहा कि चीन और भारत की संयुक्त आबादी लगभग 2 खरब 80 करोड़ है ,जो विश्व की कुल जनसंख्या की एक तिहाई है। जब दोनों देश स्थिरता और समृद्धि पूरा करें और शांति व सौहार्द में सहअस्तित्व रहते हैं ,तो वैश्विक शांति व समृद्धि का मजबूत आधार तैयार होगा।

वांग यी का मानना है कि इधर के कुछ सालों में चीन-भारत संबंधों में कुछ बाधाएं आयी हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों और दोनों देशों की जनता के मूल हित में नहीं है। इतिहास में छोड़े गये सीमा मुद्दे से दोनों देशों के सहयोग की समग्र स्थिति पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

स्थानीय विशेषज्ञों के विचार में इस साल चीन और भारत संबंध सुधारने के अच्छे मौके का सामना कर रहा है। इस साल चीन ब्रिक्स देशों का अध्यक्ष देश है। ब्रिक्स सहयोग का मुख्य विषय है कि गुणवत्ता साझेदार स्थापित कर एक साथ वैश्विक विकास का नया युग रचना। वांग यी के अनुसार चीन भारत समेत अन्य ब्रिक्स देशों के साथ 160 से अधिक गतिविधियां आयोजित करेंगे। ब्रिक्स देश कोविड-19 रोधी टीके से केंद्रित रहकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग का विस्तार करेंगे और चौतरफा तौर पर अर्थव्यवस्था ,व्यापार ,वित्त ,सृजन ,डिजिटल अर्थव्यवस्था ,हरित विकास ,गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में सहयोग आगे बढ़ाएंगे।

उधर चीन जोरशोर से वैश्विक विकास वकालत के कार्यांवयन पर जोर दे रहा है। वैश्विक विकास वकालत बेल्ट एंड रोड पहल के बाद चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से प्रस्तुत और एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है, जिस ने विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर पाटने और विकास असंतुलन सुलझाने के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया है। इस प्रस्ताव का फोकस विकासशील देशों के आपस में गरीबी उन्मूलन ,अनाज सुरक्षा , आर्थिक बहाली ,रोजगार ,शिक्षा व स्वास्थ्य और हरित विकास में व्यावसायिक सहयोग बढ़ाना है ताकि वर्ष 2030 तक यूएन निरंतर विकास के लक्ष्य पूरे किये जाए। अब तक इस नये प्रस्ताव को लगभग सौ देशों का समर्थन मिला है। इस संदर्भ में चीन और भारत के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं होंगी।

गौरतलब है कि पिछले साल चीन भारत व्यापार रकम पहली बार 100 अरब अमेरिकी डॉलर पार कर गयी। चीनी कस्टम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल के पहले दो महीने में चीन भारत व्यापार 21 अरब 12 करोड़ 94 लाख दर्ज हुआ ,जो गतवर्ष की समान अवधि से 16.6 प्रतिशत अधिक रहा। चीन भारत व्यापार में तेजी बनी रही है। जाहिर है कि व्यापार द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरक और उत्प्रेरक की भूमिका निभाता रहेगा।

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