पीयूष गोयल ने छोटे दुकानदारों को परेशान किए जाने पर फटकारा

पीयूष गोयल ने छोटे दुकानदारों को परेशान किए जाने पर फटकारा

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के नाम पर छोटे दुकानदारों को परेशान किए जाने को लेकर अपने ही मंत्रालय के अधिकारियों को फटकार लगाई और संकेत दिया कि गलत काम में इन्हीं में से कुछ का हाथ है। 35 साल पहले जब उन्होंने एक युवा उद्यमी के रूप में काम करना शुरू किया था, उस समय के अपने उत्पीड़न को याद करते हुए गोयल ने लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट की तीन अलग-अलग धाराओं के तहत दर्ज मामलों की संख्या को सूचीबद्ध किया और बताया कि पहले व दूसरे अपराधों के मामलों की संख्या के बीच बड़ा अंतर है।

गोयल अपने मंत्रालय द्वारा आयोजित विश्व उपभोक्ता अधिकार जागरूकता दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मंत्री ने कहा कि दर्ज किए गए मामलों में से 60 प्रतिशत असत्यापित बाट और माप के उपयोग से संबंधित हैं, जो धारा 33 के तहत आते हैं। उनमें से 25 प्रतिशत गैर-मानक पैकेजिंग की बिक्री के लिए धारा 36 (1) के तहत और 8 से 10 प्रतिशत मामले गैर-मानक वजन व माप के उपयोग से संबंधित हैं। इन मामलों के लिए धारा 25 के तहत जुर्माने का प्रावधान है।

पिछले तीन वर्षो के आंकड़ों से पता चलता है कि मोटे तौर पर धारा 33 के तहत 51,000-54,000 मामले दर्ज किए गए हैं, धारा 36 (1) के तहत लगभग 20,000-22,000 और धारा 25 के तहत लगभग 8,000-10,000 मामले दर्ज किए गए हैं, जो कंपाउंडेबल हैं।

गोयल ने कहा, “मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि पहले अपराध जो कि कंपाउंडेबल हैं, में भारी कमी आई, तब दूसरे अपराध के मामलों की संख्या कैसे बढ़ गई, यह वास्तव में आपको सलाखों के पीछे डाल सकती है।”

उन्होंने कहा, “2018-19 में पहले अपराध के मामले 89,724 थे, जबकि दूसरे अपराध के मामले 2019-20 में 11,000, पहले अपराध के 92,000 मामले थे, लेकिन दूसरे अपराध सिर्फ 2 (दो) थे और 2020-21 में पहले अपराध के मामले 85,000 थे, लेकिन दूसरा अपराध शून्य था।”

मंत्री ने इन सब के लिए अपने स्वयं के मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों, संबंधित राज्य विभागों और राष्ट्रीय और राज्य स्तर के उपभोक्ता मंचों के शीर्ष अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराकर दर्शकों को स्तब्ध कर दिया।

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