45 साल के पुष्कर सिंह धामी होंगे उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री, कभी मंत्री नहीं रहे, सीधे CM की कुर्सी संभालेंगे

45 साल के पुष्कर सिंह धामी होंगे उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री, कभी मंत्री नहीं रहे, सीधे CM की कुर्सी संभालेंगे

नई दिल्ली/देहरादून। बहुमत के बावजूद लगातार नेतृत्व की अस्थिरता से जूझ रही उत्तराखंड की भाजपा सरकार में शनिवार को फिर मुख्यमंत्री बदल गया। पुष्कर सिंह धामी आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी के नाम पर सहमति बनी थी। पिथौरागढ़ में जन्मे 45 साल के पुष्कर सिंह धामी राज्य के सबसे कम उम्र के CM होंगे। दो बार के विधायक धामी कभी उत्तराखंड सरकार में मंत्री नहीं रहे, लेकिन अब सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे। शनिवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक सामान्य कार्यकर्ता को राज्य की सेवा का मौका देने के लिए वे पार्टी हाईकमान के शुक्रगुजार हैं।

शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। इसमें केंद्रीय ऑब्जर्वर के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर और डी पुरंदेश्वरी भी मौजूद थे। बैठक में तीरथ सिंह रावत और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन कौशिक ने खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी का नाम प्रस्तावित किया। इस पर केंद्रीय पर्यवेक्षक की भी सहमति के बाद किसी दूसरे नाम का प्रस्ताव ही नहीं आया।

धामी गरीब परिवार में जन्मे
पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर 1975 को पिथौरागढ के टुण्डी गांव में हुआ था। उनके पिता सैनिक थे। तीन बहनों के बाद घर का अकेला बेटा होने की वजह से परिवार की जिम्मेदारियां उन पर हमेशा बनी रहीं।

ABVP और युवा मोर्चा में काम कर चुके हैं
धामी ने मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स किया है। वे 1990 से 1999 तक ABVP में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं। धामी 2002 से 2008 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। वहीं 2010 से 2012 तक शहरी विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे। वे 2012 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उनकी अगुआई में ही प्रदेश सरकार ने स्थानीय युवाओं को राज्य के उद्योगों में 70% आरक्षण दिलाने में सफलता हासिल की।

RSS और कोश्यारी के करीबी हैं
धामी को RSS का करीबी माना जाता है। वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भी नजदीकी हैं। धामी के बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये एक ऐसा नाम है जो हमेशा विवादों से दूर रहा है। पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर काफी जोर-शोर से आवाज उठाते रहे हैं। युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

जातीय संतुलन भी धामी के पक्ष में गया
राजपूत समुदाय से आने वाले धामी राज्य के तेजतर्रार नेताओं में शुमार हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर जातीय समीकरण भी साधने की कोशिश की गई है। तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के वक्त भी पुष्कर सिंह धामी का नाम रेस में शामिल रहा था। धामी राज्य के और मुख्यमंत्रियों के मुकाबले युवा हैं। उनका युवा होना भी उनके मुख्यमंत्री चुने जाने के पक्ष में गया है।

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