नई दिल्ली : देशभर के हजारों स्कूली छात्र स्कूलों में पढ़ने के दौरान ही आईआईटी सरीखे विश्व प्रसिद्ध उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़ सकते हैं। आईआईटी गांधीनगर ने इसके लिए बड़ी पहल करते हुए करीब 74 हजार छात्राओं की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के प्रति रूचि बढ़ाने की कोशिश की है।
आईआईटी गांधीनगर में सेंटर फॉर क्रिएटिव लनिर्ंग ने उत्तर प्रदेश सरकार के सर्व शिक्षा अभियान के सहयोग से उत्तर प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय स्कूलों के लिए ‘क्यूरियोसिटी’ नामक एक विशेष रूप से डिजाइन किया गया कार्यक्रम शुरू किया है। यह राज्य भर में लगभग 74,600 छात्राओं तक पहुंच रहा है।
कार्यक्रम का उद्देश्य पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम से परे छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए क्षितिज का विस्तार करके विज्ञान शिक्षा में सुधार करना है। यद्यपि यह कार्यक्रम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा के इर्द-गिर्द बनाया गया है, लेकिन लंबे समय में अनुभवात्मक शिक्षा अन्य विषयों की शिक्षा पद्धति में भी शामिल होने की उम्मीद है। इसका बड़ा लक्ष्य एक अनुकरणीय कार्यान्वयन मॉडल विकसित करना भी है जो आकर्षक सामग्री, शिक्षकों के साथ निरंतर काम और धुरी के रूप में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित प्रयोगशालाओं का उपयोग करके बनाया गया है।
‘क्यूरियोसिटी’ कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, सेंटर फॉर क्रिएटिव लनिर्ंग दिलचस्प खिलौनों और गतिविधियों की मदद से विज्ञान को अनुभवात्मक तरीके से पढ़ाने के लिए 100 मॉड्यूल भी विकसित कर रहा है।
इन 100 मॉड्यूल को तीन चरणों में लागू करने की योजना है पहले चरण में सभी 746 स्कूलों के साथ ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे चरण में इन सभी स्कूलों को एक ‘क्यूरियोसिटी बॉक्स’ प्रदान करना जिसमें ऐसी सभी सामग्री शामिल है जिसे शिक्षक विभिन्न इमर्सिव गतिविधियों का संचालन कर सकें, और तीसरे चरण में यूपी के इन सभी 746 स्कूलों के साथ ऑफलाइन फेस-टू-फेस वर्कशॉप आयोजित की जाएगी। ये मॉड्यूल, जो विशेष रूप से छात्राओं की समझ बढ़ाने और सीखने के लिए हिंदी में डिजाइन किए गए हैं, पूरे वर्ष तक आयोजित किए जाएंगे।
आईआईटी गांधीनगर ने सप्ताह में दो बार, प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को एक-एक घंटे के लिए ऑनलाइन ट्यूटोरियल कार्यशालाओं का आयोजन शुरू कर दिया है। इन 746 स्कूलों में से प्रत्येक से कक्षा 6 से 8 तक की लगभग 100 छात्राएं जूम और यूट्यूब के माध्यम से सत्र में शामिल होती हैं, जिससे राज्य भर से कुल संख्या लगभग 74,600 हो जाती है। छात्रों के साथ उनके विज्ञान और गणित के शिक्षक भी होते हैं, और कभी-कभी प्रधानाचार्य और जिला समन्वयक भी शामिल होते हैं।
‘क्यूरियोसिटी’ कार्यक्रम के बारे में अपने ²ष्टिकोण को साझा करते हुए, आईआईटी गांधीनगर स्थित सेंटर फॉर क्रिएटिव लनिर्ंग के प्रमुख, प्रोफेसर मनीष जैन ने कहा, यह कार्यक्रम विशेष रूप से उस वातावरण को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है जिससे ये छात्राएं आती हैं। संदर्भ, उदाहरण, कहानियां, सामग्री और हिंदी भाषा का उपयोग, सब कुछ विशेष रूप से बनाया गया है ताकि वे सीखते समय इससे संबंधित महसूस कर सकें। इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री में ऐसी प्रासंगिक सामग्री काफी हद तक गायब है। हमारा लक्ष्य उन सभी 74,600 लड़कियों की आंखों में ‘चमक’ वापस लाना है, जिनके साथ हम मार्च से दिसंबर 2022 तक नियोजित लगभग 100 सत्रों के माध्यम से जुड़ने जा रहे हैं।
इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे गौरव कुमार ने कहा, इन सत्रों का लक्ष्य न केवल विज्ञान पाठ्यक्रम को कवर करना है बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन में विज्ञान को देखने के लिए प्रेरित करना है। महिला दिवस पर, हमने एक विशेष सत्र किया है और प्रमुख महिला वैज्ञानिकों की कहानियों को छात्रों के साथ साझा कर रहे हैं ताकि उन्हें करियर बनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
आईआईटी स्थित सेंटर फॉर क्रिएटिव लनिर्ंग देश भर के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 200 जवाहर नवोदय विद्यालयों में लगभग 10,000 विज्ञान ज्योति छात्राओं के लिए ‘स्पार्कल सीरीज’ भी चला रहा है। इस प्रयास का उद्देश्य युवा लड़कियों में गणित, विज्ञान, प्रोद्यौगिकी व इंजीनियरिंग को लोकप्रिय बनाना भी है।