सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जम्मू में हिरासत में रखे गए रोहिंग्याओं की नहीं होगी रिहाई

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जम्मू में हिरासत में रखे गए रोहिंग्याओं की नहीं होगी रिहाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू में हिरासत में रखे गए रोहिंग्या को लेकर दायर याचिका पर फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं की रिहाई नहीं होगी। साथ ही इन लोगों को वापस म्यांमार भेजने को लेकर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इन्हें वापस भेजा जा सकता है।  

बता दें कि जम्मू में 168 रोहिंग्या हिरासत में रखे गए हैं। अदालत ने कहा कि इनकी रिहाई नहीं होगी और ये होल्डिंग सेंटर में ही रहेंगे और इन्हें कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही वापस भेजा जा सकता है। इसका मतलब यह है कि इन लोगों को तभी भेजा जाएगा जब म्यांमार अपने नागरिक के रूप में स्वीकार करने पर सहमति दे देगा।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना व न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्ला की ओर से दाखिल अंतरिम अर्जी पर आदेश सुनाया। अर्जी पर सुनवाई 26 मार्च को पूरी हो गई थी। केंद्र ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि भारत अवैध प्रवासियों की राजधानी नहीं बन सकता।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि रोहिंग्या बच्चों की हत्याएं कर दी जाती है और उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने में नाकाम रही है। केंद्र ने दलील दी थी कि वे (रोहिंग्या) शरणार्थी नहीं है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल एक याचिका पूर्व में खारिज कर दी थी।

भूषण ने आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रोहिंग्या लोगों को हिरासत में लिया और जल्द ही उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। न्यायालय में लंबित जनहित याचिका में 11 मार्च को एक अंतरिम अर्जी दाखिल कर जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को रिहा करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

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