कोलकाता: पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने अपने बहनोई को तीन फर्जी कंपनियों का निदेशक नियुक्त किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने पाया कि तीन फर्जी कंपनियों – सिम्बायोसिस मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और एचे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक के रूप में अर्पिता मुखर्जी और कल्याण धर के नाम हैं।
अधिकारियों को अंत में पता चला कि धर अर्पिता की छोटी बहन का पति है। हालांकि, धर ने ईडी के अधिकारियों को सूचित किया है कि उन्हें तीन कंपनियों के निदेशक के रूप में अपना नाम शामिल किए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
धर ने केंद्रीय एजेंसी को सूचित किया है कि वह पेशे से ड्राइवर है और 2011 में अर्पिता मुखर्जी ने उसे 10,000 रुपये के मासिक वेतन पर अपना निजी ड्राइवर नियुक्त किया और बाद में बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दिया।
हालांकि, ईडी के अधिकारियों ने कहा कि धर ने उन्हें सूचित किया है कि कुछ साल पहले अर्पिता को आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचानपत्र जैसे उनके पहचान विवरण की फोटोकॉपी मिली थी।
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, “हालांकि, धर ने हमें सूचित किया है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें इन दस्तावेजों की फोटोकॉपी क्यों मिली। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि धर के दावे कितने सही हैं।”
धर ने यह भी बताया कि ड्राइविंग असाइनमेंट के अलावा, वह अपनी पत्नी की बड़ी बहन के लिए भी काम करता था। उसे निजी इस्तेमाल की चीजें खरीदकर दक्षिण कोलकाता के डायमंड पार्क कॉम्प्लेक्स स्थित अर्पिता के आवास पर पहुंचाना पड़ता था।