यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत- सांकेतिक कांवड़ा यात्रा का भी न हो आयोजन, दोबारा करें विचार

यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत- सांकेतिक कांवड़ा यात्रा का भी न हो आयोजन, दोबारा करें विचार

लखनऊ/मेरठ। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने योगी सरकार को कांवड़ यात्रा की इजाजत दिए जाने पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा- हम आपको विचार करने का एक और मौका देना चाहते हैं। आप सोचिए कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं। हम सब भारत के नागरिक हैं। अनुच्छेद 21 के तहत सबको जीवन का मौलिक अधिकार है। हमको बताया गया की राज्य में सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर रोक है। इसमें कावड़ यात्रा भी आती है। हम आपको सोमवार (19 जुलाई) तक समय दे रहे हैं। नहीं तो हमको जरूरी आदेश देना पड़ेगा।

मोदी सरकार ने भी योगी के फैसले का किया विरोध
सुनवाई से पहले केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इस दौरान केंद्र का जवाब योगी सरकार के फैसले से अलग है। केंद्र सरकार ने कहा है कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक आना कोरोना के लिहाज से उचित नहीं। बेहतर हो कि टैंकर के जरिए गंगाजल जगह-जगह उपलब्ध करवाया जाए। वहीं, यूपी सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि सांकेतिक रूप से कावड़ यात्रा चलाई जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
दरअसल, 13 जुलाई को योगी सरकार ने यूपी में 25 जुलाई से होने वाली कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी थी। इसके लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन की शर्त रखी थी। योगी सरकार के इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुनवाई के लिए 16 जुलाई यानी आज का दिन तय किया था। साथ ही केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।

कांवड़ यात्रा का सबसे बड़ा आयोजन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में होता है। हरियाणा और दिल्ली से भी कांवड़ यात्री यूपी होते हुए हरिद्वार पहुंचते हैं। यहां गंगा जल लेकर फिर अपने अपने क्षेत्र के मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा का सबसे बड़ा आयोजन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में होता है। हरियाणा और दिल्ली से भी कांवड़ यात्री यूपी होते हुए हरिद्वार पहुंचते हैं। यहां गंगा जल लेकर फिर अपने अपने क्षेत्र के मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।

कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी
जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि, हमने परेशान करने वाली खबर पढ़ी है कि यूपी सरकार कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे रही है। जबकि उत्तराखंड सरकार ने रोक लगाई है।

उत्तराखंड सरकार पहले ही लगा चुकी है रोक
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार पहले ही रोक लगा चुकी है। 13 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा स्थगित करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री ने 22 जुलाई की सुबह से हरिद्वार की सभी सीमा सील करने का भी आदेश दिया है। इसमें यह बात भी साफ कही है कि कोई भी कावंड़िया हरिद्वार की सीमा में प्रवेश नहीं करेगा। अगर करता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज करने के साथ ही 14 दिन क्वारैंटाइन किया जाएगा। कांवड़ियों के वाहन सीज कर जब्त किए जाएंगे।

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