ब्याज दर स्थिर: रेपो रेट चार व रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर, 9.5 फीसदी रह सकती है विकास दर

ब्याज दर स्थिर: रेपो रेट चार व रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर, 9.5 फीसदी रह सकती है विकास दर

नई दिल्ली। दो जून को शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज समाप्त हो गई। कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। इसलिए यह बैठक बेहद अहम थी। हर दो महीने में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 में नीतिगत दरों संशोधन किया था।

खास बातें:

आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट भी 4.25 फीसदी पर है।
ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने को लेकर गवर्नर ने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से रिजर्व बैंक के एमपीसी ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
इस बार मौद्रिक नीति समीक्षा का फोकस आर्थिक ग्रोथ पर है।
दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को ‘उदार’ बनाए रखा है।
कोरोना वायरस महामारी, पीएमआई डाटा, महामारी के दौरान कंपनियों के काम करने के तरीके और सामान्य मानसून की उम्मीद जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। पिछली बैठक में जीडीपी में 10.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया था। दास ने कहा कि मानसून सामान्य रहने से आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 18.5 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.6 फीसदी।
मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि, वित्त वर्ष 2021-2022 में सीपीआई 5.1 फीसदी रह सकती है। पिछली बैठक में भी 5.1 फीसदी का ही अनुमान लगाया गया था। 
पहली तिमाही में महंगाई दर 5.20 फीसदी रह सकती है, दूसरी तिमाही में 5.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.7 और चौथी तिमाही में यह 5.3 फीसदी हो सकती है।
कमजोर मांग से प्राइस प्रेशर का दबाव है। महंगे क्रूड और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में उछाल से प्राइस प्रेशर की स्थिति बनी है। ऐसे माहौल में हर तरह से पॉलिसी सपोर्ट जरूरी है।
आरबीआई का ध्यान तरलता का समान रूप से वितरण करना है। उन्होंने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था को दोबारा से वृद्धि के रास्ते पर ले जाने के लिए सक्रिय रुख अख्तियार करने की जरूरत है।
अप्रैल और मई, 2021 में शहरी मांग मासिक आधार पर नरमी को दिखाते हैं। वैश्विक कारोबार में एक बार फिर से तेजी का रुख देखने को मिल रहा है। शक्तिकांत दास ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन और टीकाकरण से अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी। वैश्विक ट्रेंड सुधरने से निर्यात बढ़ेगा। 
शक्तिकांत दास ने कहा कि एमएसएमई को सहयोग देने के लिए रिजर्व बैंक सिडबी को 16000 करोड़ रुपये की एक खास और अतिरिक्त नकदी सुविधा देगा। इससे पहले भी ऐसी सुविधा दी गई थी। पहले इसके तहत 25 करोड़ रुपये की उधार लेने की सुविधा थी, जिसे बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया है। 
टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को कोरोना वायरस महामारी से उबारने के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने एलान किया कि बैंकों के माध्यम से इन सेक्टर को राहत दी जाएगी।
शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा का एलान करते हुए दास ने कहा कि 15000 करोड़ रुपये की नकदी की व्यवस्था बैंकों को जाएगी। इससे बैंक होटल, टूर ऑपरेटर, रेस्टोरेंट, प्राइवेस बस ऑपरेटर आदि को किफायती लोन दे सकेंगे।
दास ने कहा कि इस साल में अब तक रिजर्व बैंक ने नियमित तौर पर ओएमओ कारोबार किया और 31 मई 2021 तक 36,545 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी बाजार में डाली। यह राशि जी-सैप 1.0 के तहत उपलब्ध कराई गई 60,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। 
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया है कि जी-सैप 1.0 के तहत 17 जून 2021 को 40,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों का खरीद कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसमें 10,000 करोड़ रुपये में राज्य विकास ऋण (एसडीएल) की खरीद होगी।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में द्वितीयक बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम (जी-सैप 2.0) के तहत 1.20 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। इसका मकसद सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल को सुव्यवस्थित बनाए रखना है।
आरबीआई विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में सक्रियता से हिस्सा ले रहा है। फॉरेक्स रिजर्व 598 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं। हमारा फॉरेक्स रिजर्व 600 अरब डॉलर होने के करीब है।
एक अगस्त से नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) हर दिन उपलब्ध होगा। वर्तमान में यह सेवा बैंकों के सभी कार्य दिवसों को उपलब्ध रहती है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि, ‘आज की नीतिगत घोषणा में, आरबीआई ने दूसरी लहर पर अपनी प्रतिक्रिया के संदर्भ में सभी उचित निर्णय लिए। 1.2 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की द्वितीयक बाजार से खरीद और एसडीएल बॉन्ड के संदर्भ में लिए गए फैसले से बॉन्ड बाजार में दबाव कम करने में मदद मिलने की संभावना है।’

संपर्क इंटेंसिव क्षेत्रों के लिए तरलता सहायता प्रदान करने के केंद्रीय बैंक के उपाय से इन क्षेत्रों में ऋण प्रवाह में सहायता की संभावना है। क्रेडिट का अधिक न्यायसंगत वितरण इस बात पर निर्भर होने की संभावना है कि क्या जोखिमों का आकलन बैंकों को आरबीआई द्वारा प्रदान किए गए रिवर्स रेपो पर मार्कअप के अनुरूप है। इसलिए, सिस्टम को जोखिम से मुक्त करने के लिए कुछ प्रकार की क्रेडिट गारंटी की आवश्यकता हो सकती है। दूसरी लहर से जुड़े जोखिमों के मद्देनजर, RBI ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को संशोधित कर वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 9.5 फीसदी कर दिया, जबकि वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 5.1 फीसदी तक संशोधित किया।

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