निजीकरण पर बोले रेलमंत्री, पूछा- सड़कें भारत की संपत्ति हैं निजीकरण नहीं होगा

निजीकरण पर बोले रेलमंत्री, पूछा- सड़कें भारत की संपत्ति हैं निजीकरण नहीं होगा

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के निजीकरण और उसे निजी हाथों में सौंपने को लेकर लगातार भारतीय रेलवे पर सवाल खड़े होते हैं। मंगलवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा में स्पष्ट किया कि रेलवे भारत की संपत्ति है। भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होगा और भारत सरकार की ही रहेगी। उन्होंने आगे कहा कि यात्रियों को अच्छी सुविधाओं के साथ रेलवे के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले, ऐसे कार्यों के लिए निजी क्षेत्र का निवेश देशहित में होगा।

रेलमंत्री ने आगे कहा, सड़कें भारत की संपत्ति हैं लेकिन क्या कोई कहता है कि सड़क पर सिर्फ सरकारी गाड़ियां चलेंगी? क्या रेलवे लाइन पर कोशिश नहीं होनी चाहिये? उसमें निजी निवेश आता है, तो उसका स्वागत होना चाहिए।

लोकसभा में रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान मांगों 2021-22 पर चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कई सांसद निजीकरण और कॉर्पोरेटाइजेशन का आरोप लगाते हैं। मैं सभी सांसदों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय रेल प्राइवेटाइज नहीं होगी और भारत सरकार की ही रहेगी।

रेलमंत्री ने आगे कहा कि सड़कों पर सभी तरह के वाहन चलते हैं तभी प्रगति होती है और तभी सभी को सुविधाएं मिलेंगी। तो क्या रेलवे में ऐसा नहीं होना चाहिए? क्या यात्रियों को अच्छी सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए। मालवाहक ट्रेनें चलें और इसके लिए अगर निजी क्षेत्र निवेश करता है तो क्या इस पर विचार नहीं होना चाहिए।

ट्रेनों की गति को दोगुना किया
गोयल ने आगे कहा, कोविड महामारी से पहले मालगाड़ी लगभग 22-23 या अधिकतम 24 किमी/घंटे की औसत गति से सामान लेकर जाती थी। हमने कोविड के समय योजना बना कर उस गति को दोगुना कर 45 किमी/घंटे किया गया। रेलवे ने हर डिविजन में बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट खोली हैं, और ‘कस्टमर इज किंग’ को सामने रखते हुए ग्राहकों के पास जाकर उनके सामान को रेलवे द्वारा परिवहन कराते हैं। अब हम मालवाहक ट्रेनों को एक के बाद एक नही चलाते, बल्कि मालवाहक ट्रेनों को आपस में जोड़कर चलाते हैं।

उन्होंने आगे कहा, आज हम अनाकोंडा जैसी ट्रेन चलाते हैं, जो तेज रफ्तार से अपने गंतव्य तक सामान ले जाती है। मैं प्रत्येक सप्ताह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को मॉनिटर करता हूं। अभी तक करीब 650 किमी तक यह शुरू हो चुका है। मार्च—अप्रैल तक 450 किमी और उसके बाद पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा, और अगले वर्ष तक इसे पूरा क्रियान्वित करने में सफल होंगे।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से भविष्य में पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, तेज गति से उद्योग आयेंगे, और वहां विकास होगा। केरल में 2009 से 2014 के बीच जो पैसा निवेश होता था, वो लगभग ढाई गुना कर दिया गया है, लेकिन केरल में काम नही हो पाता है क्योंकि जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती।

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