दिल्ली में कुछ लोग कर रहे हैं UPA-2 बनाने की तैयारी: संजय राउत

दिल्ली में कुछ लोग कर रहे हैं UPA-2 बनाने की तैयारी: संजय राउत

मुंबई। शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में कुछ लोग संप्रग-2 बनाने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए अगर विपक्ष भाजपा से लडऩा चाहता है तो मौजूदा संप्रग को मजबूत होने की जरूरत है। उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए यह बयान दिया। इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि राकांपा प्रमुख शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का नेतृत्व करना चाहिए जिसकी कमान अभी कांग्रेस के पास है।

दिल्ली में कुछ लोग कर रहे हैं संप्रग-2 बनाने की तैयारी
एक सवाल के जवाब में राउत ने कहा कि तीसरा, चौथा या पांचवां मोर्चा बनाने का नाटक विफल हो गया है इसलिए मौजूदा संप्रग को मजबूत होने की जरूरत है। उन्होंने कहा, दिल्ली में कुछ लोग संप्रग-2 बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए मैं यह कह रहा हूं। संप्रग-1 को मजबूत होना होगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया ये लोग कौन हैं। उन्होंने कहा कि अगर संप्रग-2 बना तो मौजूदा संप्रग की महत्ता कम होगी और फिर विपक्षी पार्टियों के हाथ में कुछ नहीं होगा।पवार के संप्रग का नेतृत्व करने के राउत के सुझाव पर महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं ने बृहस्पतिवार को शिवसेना नेता से ऐसी टिप्पणियां करने से बचने के लिए कहा क्योंकि उनकी पार्टी तो इस गठबंधन का हिस्सा भी नहीं है।

अगर सोनिया गांधी या राहुल गांधी इस मुद्दे पर बोलते हैं तो हम जवाब देंगे
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने राउत से पूछा था कि क्या वह पवार के प्रवक्ता हैं?, इस पर शिवसेना नेता ने जवाब दिया, शायद। शरद पवार देश के नेता हैं। सभी जानते हैं कि शरद पवार या उद्धव ठाकरे क्या हैं। राउत ने कहा कि इसके बारे में बोलने के लिए किसी को संप्रग का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, संप्रग का मुद्दा किसी राज्य का नहीं बल्कि देश का मुद्दा है। इसलिए राज्य के लोगों को इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां भाजपा का मुकाबला करना चाहती है तो गठबंधन को मजबूत करने पर चर्चा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, अगर सोनिया गांधी या राहुल गांधी इस मुद्दे पर बोलते हैं तो हम जवाब देंगे। लेकिन वे नहीं बोल रहे। वे भी इस स्थिति का आकलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे यह सोचते हैं कि संप्रग को मजबूत नहीं करना चाहिए।

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