महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद राज्य में भाजपा ने सरकार बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी मसले पर भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के घर भाजपा कोर कमेटी की बैठक हुई। वहीं दूसरी तरफ बागी नेता एकनाथ शिंदे भी गोवा से मुंबई पहुंच गए हैं। इस बीच भाजपा सरकार बनाने के साथ मंत्रिमंडल के गठन के गुणा भाग में जुटी हुई नजर आ रही है। हालांकि इस बार फडणवीस को मंत्रिमंडल बनाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राह पर चलना होगा।
ठाकरे के इस्तीफे के बाद भाजपा खेमे में सरकार बनाने को लेकर हलचल तेज हो चली है। खबर है कि पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस अगले एक से दो दिन में सीएम पद की शपथ लेंगे। वे भाजपा की हैदराबाद में 2-3 जुलाई को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी शामिल होंगे। हाईकमान से चर्चा के बाद ही वे मंत्रिमंडल का गठन करेंगे। बुधवार को ही फडणवीस ने कहा था कि वे सरकार बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेंगे। अगले 2-3 दिन में पूरी स्थिति साफ हो जाएगी।
इस फॉर्मूले पर हो सकता है काम
मंत्रिमंडल को लेकर जल्द ही शिंदे गुट के साथ भाजपा नेताओं की एक बैठक भी होगी। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे को राज्य में उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। उनके पास कुछ अहम विभागों की जिम्मेदारी भी रहेगी। सूत्रों की मानें तो अगली सरकार में भाजपा अपने पास 29 मंत्री पद रख सकती है। फॉर्मूले के तहत आठ कैबिनेट मंत्री पद और पांच राज्य मंत्री पद शिंदे गुट को भाजपा की ओर से दिए जा सकते हैं। छह विधायकों पर एक मंत्री का फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। महाविकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना के जिन असंतुष्ट विधायकों को मंत्री पद नहीं मिल पाया था, या फिर उन्हें फंड हासिल करने में दिक्कतें पेश आ रही थीं, उन्हें भी इस बार सरकार बनने पर मंत्रालय दिया जा सकता है। इस मंत्रिमंडल में दादा भुसे, दीपक केसरकर, गुलाबराव पाटील, संदीपन भूमरे, उदय सामंत, शंभुराज देसाई, अब्दुल सत्तार, राजेंद्र पाटील, बच्चू काडू, प्रकाश आबिदकर और संजय रैमुलकर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर अमर उजाला से चर्चा में कहते हैं कि मध्यप्रदेश में दो वर्ष पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। तब उनके साथ करीब 22 विधायकों ने भी पार्टी छोड़ी थी। चुनावों के बाद कुछ विधायकों को शिवराज मंत्रिमंडल में और उनके कुछ समर्थकों को भाजपा संगठन में एडजस्ट किया गया है। इससे शिवराज के करीबी और पुराने कद्दावर विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी थी। ऐसी ही कुछ स्थिति अब महाराष्ट्र में भी देखने को मिलेगी। क्योंकि मध्यप्रदेश के केस में सिंधिया को केंद्र में मंत्री बना दिया गया था। लेकिन महाराष्ट्र के मामले में एकनाथ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री से कम के पद में तैयार नहीं होंगे। वे प्रदेश में ही रहकर यहां की राजनीति करेंगे। इसलिए उनके 40 समर्थक विधायकों को साधना भाजपा के लिए मुश्किल भरा होगा।