कोरोना मरीजों का हौसला बने रामजी, शवों को श्मशान पहुंचाने का बीड़ा

कोरोना मरीजों का हौसला बने रामजी, शवों को श्मशान पहुंचाने का बीड़ा

बक्सर। बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच कई लोग खुद मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं। बिहार के बक्सर के रहने वाले समाजसेवी रामजी सिंह इस मौके पर कोरोना मरीजों के लिए न केवल हौसला बने हुए हैं बल्कि जब शवों को श्मशान घाट ले जाने में जिला प्रशासन खुद को असमर्थ हुआ तब युवा युवा शक्ति संस्थान का एंबुलेंस भी शव वाहन बना दिया गया, जिससे शवों को श्मशान घाट तक पहुंचाने में कोई परेशानी नहीं हो। रामजी सिंह के लिए समाजसेवा कोई नई बात नहीं है। प्रारंभ से ही ये समाजसेवा से जुडे हुए है। जब कोरोना की दूसरी लहर प्रारंभ हुई तब इन्होंने कोरोना मरीजों की सेवा में खुद को लगा दिया। गांव से पहुंचने वालों को जब ठीक से कुछ पता नहीं होता तब इनकी टीम उन्हें अस्पताल पहुंचाती है और उन्हें सुविधा मुहैया कराती है।

बक्सर के रामबाग इलाके के रहने वाले रामजी सिंह बताते हैं कि एक सप्ताह पूर्व कोरोना संक्रमितों लोगों के शवों को श्मसान घाट तक ले जाने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। ऐसे मौके पर उन्होंने युवा युवा शक्ति संस्थान द्वारा लोगों की मदद से खरीदा गया एंबुलेंस को शव वाहन बनाकर शवों को श्मशान घाट तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया।

सिंह बताते हैं कि अब तक 13 कोरोना संक्रमित शवों को वे श्मशान घाट पहुंचा चुके है, वह भी नि:शुल्क। उन्होंने इसकी शुरूआत के संबंध में पूछे जाने पर कहा, कोविड केयर सेंटर में मरीजों के पास चार शव पडे थे और उनके श्मशान पहुंचाने की कोई व्यवस्था जिला प्रशासन के पास नहीं थी। प्रशासन के लोगों ने उनसे बात की और फिर एंबुलेंस ही शव वाहन बन गया। इस काम में मदद के लिए सिंह ने अपने एक मित्र को भी राजी किया और शवों को श्मशान पहुंचाने की सुविधा मिल सकी। वे कहते हैं कि यह एंबुलेंस अब सदर अस्पताल परिसर में ही खड़ी रहती है।

सिंह की टीम भर्ती कोरोना मरीजों को गर्म पानी और काढ़ा की व्यवस्था भी करता है। उन्होंने कहा कि भर्ती मरीजों के पास काढा और गर्म पानी पहुंचाने की शुरूआत भी की गई थी, लेकिन सेंटर में स्थान की कमी के कारण फिर बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों से बात चल रही है, अगर जगह उपलब्ध करा दिया गया तो फिर से यह सेवा प्रारंभ कर दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि ‘आज लोगों में धैर्य रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांव से आने वाले लोगों को इस बीमारी का ही पता नहीं होता है, ऐसे में वे धैर्य खो रहे हैं। ऐसे में जरूरत उनको सही मार्गदर्शन और धैर्य बंधाने की है।’ उन्होंने कहा कि ‘आज सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन की हो रही है। ऑक्सीजन है तो, फ्लोमीटर कहीं नहीं मिल रहा है। ऐसे में वे जिला में उन लोगों के पास पहुंच रहे हैं जिनके घर में फ्लो मीटर है और उसका उपयोग बंद है।’

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, ‘आप लोग भी जहां से हैं वहीं से लोगों की मदद में लगिए, सबसे बड़ा काम है लोगों के मन से डर को निकालना, अधिकांश कोविड मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं, देश में स्वस्थ हो रहे मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।’ उन्होनें आगे कहा, ‘हम आप जैसे लोग ऑक्सीजन नहीं बना सकते, इंजेक्शन नही बना सकते हैं लेकिन हौसला तो जरूर बना सकते हैं और हौसले से ही जीत है।’

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