करिश्मा की जिद की आगे झुके घरवाले, हॉकी मैदान के लिए दान कर दी चार एकड़ जमीन

करिश्मा की जिद की आगे झुके घरवाले, हॉकी मैदान के लिए दान कर दी चार एकड़ जमीन

रांची : झारखंड में नक्सलवाद प्रभावित सिमडेगा जिले का एक गांव है कोरंजो बीजाडीह। यहां की रहने वाली करिश्मा परवार ने नेशनल लेवल पर हॉकी खेली। वह नेशनल टूर्नामेंट्स में गोल्ड जीतने वाली झारखंड की टीम का हिस्सा रहीं और कई मेडल्स जीते, लेकिन यहां तक का सफर तय कर पाना भी उनके लिए आसान नहीं रहा। इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का सपना बाकी रह गया। अब उनकी हसरत है कि जिन परिस्थितियों ने उसका रास्ता रोका, वैसी मुश्किलें हॉकी के दीवाने उसके गांव और इलाके के बच्चे-बच्चियों को झेलनी पड़े। इसी मकसद के लिए उन्होंने अपने पिता, भाई और घर वालों से जिद ठानकर परिवार की लगभग चार एकड़ जमीन गांव में हॉकी मैदान बनाने के लिए दान करवा दी है। अब मनरेगा के फंड से खेतों को हॉकी मैदान के रूप में विकसित करने का काम चल रहा है।

करिश्मा परवार ने अपना जीवन अब उन बच्चे-बच्चियों के लिए समर्पित कर दिया है, जिनकी आंखों में हॉकी को लेकर बड़े सपने हैं। वर्ष 2019 से उन्होंने अपने गांव में बच्चों को हॉकी की ट्रेनिंग देने की शुरूआत की। वह गांव में किसी भी बड़े खेत या टांड़ में बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें हॉकी के गुर सिखाया करतीं, लेकिन जब खेती का मौसम आता तो बच्चों की प्रैक्टिस रोक देनी पड़ती थी। करिश्मा को खुद को अपने स्कूल के दिनों में इसी तरह की परेशानी से गुजरना पड़ा था। आखिरकार, उन्होंने तय किया कि गांव में हॉकी के लिए मैदान बनवायेंगी। उन्होंने अपने किसान पिता मनबहाल परवार से आग्रह किया कि वह अपनी जमीन का एक हिस्सा हॉकी मैदान के लिए दें। उसके पिता भी अपने वक्त में हॉकी के प्लेयर रहे हैं, लेकिन खेती वाली जमीन हॉकी मैदान के लिए देने का फैसला आसान नहीं था। बेटी ने कन्विंस किया तो आखिरकार वे मान गये, लेकिन परिवार के अन्य लोगों को इसपर सहमत कराने में करिश्मा परवार को थोड़ा वक्त लगा। करिश्मा की बड़ी बहन कविता कुमारी और छोटा भाई प्रवीण परवार भी हॉकी के प्लेयर रहे हैं और स्टेट लेवल पर खेल चुके हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर कोरंजो बीजाडीह गांव में करिश्मा की पहल से नवोदित खिलाड़ियों की आंखों में चमक है। गांव के हाकी खिलाड़ी अश्विन परवार,प्रीतम टोप्पो, प्रीति टोप्पो और सुनम केरकेट्टा कहते हैं कि अब हम बेहतर प्रैक्टिस कर पायेंगे। हम सभी लोग करिश्मा दीदी और उनके परिवार के बहुत आभारी हैं। उन्होंने हमारी खुशी और सपने के लिए यह बड़ा काम किया है।

करिश्मा कहती हैं कि उनकी कोशिश है कि खेल के मैदान के अभाव में उनके इलाके के खिलाड़ियों को अपने सपनों से समझौता न करना पड़े। हमारे यहां के नौनिहाल देश-दुनिया में जगह बना पायें तो मैं खुद को खुशकिस्मत मानूंगी।

करिश्मा परवार की इस पहल की गूंज पूरे राज्य में है। खेल मंत्री हफीजुल हसन का कहना है कि सिमडेगा के खिलाड़ियों ने हॉकी की दुनिया में पूरे राज्य का नाम रोशन किया है।

बीते आठ मार्च को हॉकी झारखंड ने करिश्मा पवार को उनकी इस पहल के लिए सम्मानित किया। सिमडेगा में आयोजित एक समारोह में उन्हें समाज कल्याण पदाधिकारी रेणु बाला के हाथों सम्मान से नवाजा गया।

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