एनवी रमण बने सुप्रीम कोर्ट के 48वें चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति कोविंद ने दिलाई शपथ

एनवी रमण बने सुप्रीम कोर्ट के 48वें चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति कोविंद ने दिलाई शपथ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण ने शनिवार को चीफ जस्टिस की शपथ ग्रहण की। न्यायमूर्ति रमण ने भारत के 48वें CJI के तौर पर प्रभार संभाला है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस एनवी रमण को चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाई। इस दौरान जस्टिस एनवी रमण मास्क पहने हुए नजर आए। बता दें कि वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े शुक्रवार (23 अप्रैल) को रिटायर हो गए हैं।

जस्टिस रमण के जीवन सफर पर एक नजर

  • आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में 27 अगस्त, 1957 को जन्मे, न्यायमूर्ति रमण 10 फरवरी, 1983 में अधिवक्ता के रूप में नामांकित किए गए थे। 
  • उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया 
  • 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यरत रहे। 
  •  2 सितंबर, 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया 
  • 17 फरवरी, 2014 को उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 
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न्यायमूर्ति रमण ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों को सुना

  • न्यायमूर्ति रमण की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेजने से पिछले साल मार्च में इनकार कर दिया था। 
  • वह पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने नवंबर 2019 में कहा था कि सीजेआई का पद सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण है। नवंबर 2019 के फैसले में, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि “जनहित” में सूचनाओं को उजागर करते हुए “न्यायिक स्वतंत्रता को भी दिमाग में रखना होगा।” 
  • एक अन्य महत्त्वपूर्ण फैसले में, न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल जनवरी में फैसला दिया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर कारोबार करना संविधान के तहत संरक्षित है और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को प्रतिबंध के आदेशों की तत्काल समीक्षा करने का निर्देश दिया था। 
  • वह शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे हैं जिसने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। 
  • नवंबर 2019 में, उनकी अगुवाई वाली पीठ ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सदन में बहुमत साबित करने के लिए शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था। 
  • न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर भी सुनवाई की थी जिसमें पूर्व एवं मौजूदा विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निस्तारण में बहुत देरी का मुद्दा उठाया गया था।
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