दिल्ली में 2017 में एक व्यक्ति ने अपनी 14 साल की बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके बाद लड़की खुद पुलिस के पास पहुंच गई। उसने बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है और अपनी मर्जी से उसके साथ रह रही है। लड़की का कहना था कि वे दोनों शादी करना चाहते हैं और कई बार उनके बीच फिजिकल रिलेशन भी बन चुके हैं।
इतना सुनते ही पुलिस ने आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया। मामला अदालत पहुंचा तो ट्रायल कोर्ट ने यह कहकर आरोपी को छोड़ दिया कि दोनों के बीच रिश्ते सहमति से बने थे। इस फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस हाईकोर्ट पहुंची।
अब हाईकोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत लड़के पर आरोप तो तय कर दिए। लेकिन यह मजबूरी भी जताई कि प्रेम में पड़े नाबालिग लड़के-लड़कियों के घर से भागने, एकसाथ रहने और सहमति से संबंध बनाने के मामलों को अलग तरह से निपटाया जाना चाहिए, लेकिन पॉक्सो एक्ट के कारण बंधे कोर्ट के हाथ बंधे हैं।
नाबालिगों के बीच सहमति से बने रिश्ते में पॉक्सो के तहत कार्रवाई पर पहले भी चीफ जस्टिस से लेकर देश की कई अदालतें चिंता जता चुकी हैं।