नई दिल्ली, | भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की ओर से प्रस्तुत योजना को मंजूरी देनी होगी, क्योंकि यह योजना कंपनी अधिनियम और अन्य सेबी नियमों के वैधानिक प्रावधानों पर खरा उतरती है। सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह बात सामने आई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सेबी की ओर से योजना (स्कीम) की मंजूरी पर अमेजन की आपत्तियां प्रासंगिक नहीं रही हैं।
अदालत के फैसले के अनुसार, एफआरएल बोर्ड रिजॉल्यूशन की स्कीम को मंजूरी देने और रिलायंस को कारोबार की बिक्री वैध है। इसे वैधानिक प्रावधानों के अनुसार पाया गया है। अमेजन द्वारा किया जा रहा दावा खारिज कर दिया गया है। दरअसल अमेजन ने इसे अमान्य करार दिया था।
पाया गया कि अमेजन ने फेमा और एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया है। शेयरधारकों के एग्रीमेंट से पता चला कि अमेजन ने एफआरएल पर नियंत्रण हासिल किया है। सरकार की मंजूरी के अभाव में यह फेमा और एफडीआई नियमों के विपरीत है।
इसके साथ ही अमेजन की ओर से एफआरएल और रिलायंस के खिलाफ लगाए गए आरोपों को भी गलत पाया गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने फ्यूचर समूह और अमेजन विवाद मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नियामकों को निर्देश दिया कि वह फ्यूचर समूह के आवेदन और आपत्तियों पर कानून के अनुसार निर्णय लें।
अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेबी की ओर से स्कीम की मंजूरी पर अमेजन की आपत्तियां अब प्रासंगिक नहीं हैं।