लीगल मैट्रोलोजी निदेशक ने अमेजन की अपील खारिज की

लीगल मैट्रोलोजी निदेशक ने अमेजन की अपील खारिज की

नई दिल्ली, | केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी निदेशक ने मेट्रोलॉजी विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिसों के खिलाफ अमेजन की एक अपील को ठुकरा दिया है और कहा है कि विभाग अमेजन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 , 6 (1) का उल्लंघन करते अमेजन को पाया है, जिसके तहत चिन्हित आवश्यक घोषणा का उल्लेख ई कॉमर्स के साइट पर करना अनिवार्य है।

अमेजन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कहीं भी निर्माता का पूरा नाम पता प्रदर्शित नहीं किया गया था, जिसका उपयोग ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए किया जाता रहा है।

नियम के उल्लंघन के चलते अमेजन को विभाग ने 19 नवंबर को एक नोटिस जारी किया, और फिर से 9 दिसंबर को रिमाइंडर नोटिस जारी किया। पैकेज्ड कमोडिटीज नियम 6 निर्माता/पैकर आदि के पते के अनिवार्य उल्लेख को निर्दिष्ट करता है।

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा, “अमेजन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी बिक्री उनके द्वारा ही नियंत्रित की जाती है और क्योंकि विक्रेताओं और सभी के विवरण का कोई उल्लेख नहीं होता है, बिक्री पहले सीधे अमेजन पर ही की जाती है और वे तय करते हैं कि किसको बिक्री का ऑर्डर भेजा जाना है।”

उन्होंने कहा, “इस तथ्य के आधार पर, लगभग 80 प्रतिशत बिक्री उनके पसंदीदा विक्रेताओं के माध्यम से हो रही है और इसलिए अमेजन का ये तर्क है कि विक्रेता अपने विवरणों को स्वयं सूचीबद्ध करते हैं बिल्कुल बेबुनियाद है।”

हालांकि, कैट का मानना है कि मामूली मौद्रिक दंड का कोई महत्व नहीं है और इसलिए कैट ने कड़ाई से मांग की हैं कि अमेजन और अन्य बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 7 दिनों का प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो कानून और नीतियों को लगातार अपमानित कर रहे हैं, ये एक अनुकरणीय सजा होगी।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा, “हालांकि यह आदेश खात्मे की कगार पर पहुंचे देश के खुदरा क्षेत्र को बहुत बल देता है, लेकिन भारतीय कानून का उल्लंघन करने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स दिग्गज पर कम राशि की सजा सुनाना हमारे न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र का मजाक उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है। सजा हमारी अर्थव्यवस्था पर उनके द्वारा की गई क्षति के बराबर होनी चाहिए और इसमें विदेशी ई-कॉमर्स कम्पनियों को स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि राष्ट्र के कानून की अवहेलना करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।”

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