आयात शुल्क बढ़ने से 3 से 4 फीसदी महंगे हो सकते हैं मोबाइल

आयात शुल्क बढ़ने से 3 से 4 फीसदी महंगे हो सकते हैं मोबाइल

नई दिल्ली, | घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक और कदम उठाते हुए सरकार ने सोमवार को मोबाइल चार्जर और फोन के कुछ छोटे पुर्जो पर 10 प्रतिशत तक आयात (सीमा) शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इससे मोबाइल के दाम में दो फरवरी से तीन से चार प्रतिशत तक बढ़ोतरी की संभावना है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, “चार्जर और मोबाइल फोन के कुछ पार्ट्स पर छूट वापस लेने से स्मार्टफोन के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। घरेलू इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण तेजी से बढ़ा है। अब हम मोबाइल और चार्जर जैसी वस्तुओं का निर्यात कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “अधिक घरेलू मूल्य संवर्धन के लिए, हम चार्जर के कुछ पार्ट्स और मोबाइल फोन के छोटे पुर्जो पर कुछ छूट वापस ले रहे हैं। अब मोबाइल के कुछ पार्ट्स के दाम ‘शून्य’ से 2.5 प्रतिशत की दर तक बढ़ जाएंगे।”

हालांकि, सेलुलर मोबाइल फोन के बैक कवर, साइड कीज जैसे पार्ट्स के निर्माण के लिए इनपुट या कच्चे माल को शून्य से 10 प्रतिशत कर दिया गया है।

सेल्युलर मोबाइल फोन के चार्जर या एडॉप्टर के प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए) के इनपुट या पार्ट्स शून्य से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं सेल्युलर मोबाइल फोन के चार्जर या एडाप्टर के प्लास्टिक के पार्ट्स पर भी कस्टम ड्यूटी शून्य से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दी गई है।

चार्जर और मोबाइल फोन के कुछ पार्ट्स के लिए नए कस्टम ड्यूटी स्लैब दो फरवरी से लागू हो जाएगा।

काउंटरप्वाइंट रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर तरुण पाठक के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित है और कुछ उप घटकों (सब कंपोनेंट) के लिए शुल्क में वृद्धि इन घटकों में से कुछ को स्थानीय बनाने का एक प्रयास है।

पाठक ने कहा, “हम भविष्यवाणी करते हैं कि मोबाइल फोन की कीमतों में 3-4 प्रतिशत की बढ़ोतरी संभव है।”

केंद्र ने पहले ही विशेष रूप से मोबाइल फोन निर्माण के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है, ताकि आयात पर अंकुश लगाया जा सके।

पिछले साल अक्टूबर में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने पीएलआई योजना के तहत भारत में मोबाइल फोन के निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय आवेदकों में से सैमसंग, फॉक्सकॉन होन हेई, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार और विस्ट्रॉन की आवेदन को मंजूरी दी थी।

योजना के तहत मोबाइल फोन निर्माण के लिए स्वीकृत घरेलू कंपनियों में लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडगेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।

बता दें कि फिलहाल ज्यादातर कंपनियां चीन और दूसरे देशों से कलपुर्जे मंगवाकर भारत में असेंबल करती हैं। ऐसे में बजट का असर असेंबल होने वाले मेक इन इंडिया मोबाइल पर पड़ेगा। हालांकि इससे लंबी अवधि में भारत में मोबाइल विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और भारत में भी ये कंपनियां कल-पुर्जे तैयार करने के लिए प्रोत्साहित होंगी।

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