बदलती लाइफ स्टाइल से नींद की कमी एक बड़ी चुनौती

(लेखक – दिलीप कुमार पाठक)
स्वस्थ शरीर के लिए विशेषज्ञ स्लीप साइकल को ठीक रखने पर विशेष जोर देते हैं, इसमें सोने-जागने के निर्धारित समय और नींद की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है नींद की गुणवत्ता का संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर देखा जा सकता है। तमाम अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है, उनमें कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं नींद की गुणवत्ता के साथ इसकी अवधि का ख्याल रखना भी बहुत आवश्यक है, अक्सर लोगों की स्लीप साइकल में एक बड़ी समस्या देखी गई है, कई लोगों को रात में देर तक जगने की आदत होती है। यह आदत भले ही सामान्य लगती हो, पर सेहत पर इसके कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को रात में 6-8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। इसके लिए रात में 10 से सुबह 6 बजे तक सोने के समय को सबसे गुणवत्तापूर्ण नींद वाला माना जाता है, हालांकि अक्सर देखने को मिलता है कि अधिकतर लोग रात में 12-1 बजे सोते हैं। यह आदत आपकी स्लीप साइकल को बिगाड़ देती है, जिससे नींद पूरी न होने के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का खतरा हो सकता है। देर से सोने वाले लोगों में स्वाभाविक रूप से सुबह देर से उठने की भी आदत होती है, इस कारण से अक्सर ऐसे लोगों के लिए सुबह के समय व्यायाम कर पाना कठिन हो जाता है। हेल्थ प्रमोशन एंड क्रॉनिक डिजीज प्रिवेंशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि देर से सोने वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में गतिहीन जीवनशैली की समस्याएं भी अधिक देखने को मिलती हैं, जिसका संपूर्ण सेहत पर बहुत नकारात्मक असर हो सकता है।
आजकल नींद की कमी से परेशानियां बहुत आम हो गई हैं। ख़ासकर युवाओं में डिप्रेशन अवसाद की बीमारियां डेरा जमा चुकी हैं। देश में युवाओं का एक बड़ा वर्ग अवसाद से ज्यादा परेशान है। जिन्हें इसकी समस्या होती है, ऐसे लोग अपनी तरह की दुनिया बना लेते हैं..। हमारे आसपास के लोग समझ नहीं पाते..। मेरा मानना है पहले आप अपनी जरूरतें पूरी करिए फ़िर आप ज़माने के लिए सोचिए जब आपके अंदर ही एक कोलाहल है तो आप दुनिया के लिए क्या ही लड़ पाएंगे! मुझे सम्बन्धित व्यक्ति के बारे में ज़्यादा पता नहीं है लेकिन इस उम्र में डिप्रेशन का कारण ज्यादातर भविष्य की चिंता ही होती है। सबसे पहले आप खुद को स्थायित्व दीजिए बाद में ज़माने के लिए सोचिए। अभी कुछ दिनों पहले पढ़ा इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज ग्राहम थोर्प ने डिप्रेशन की वज़ह से आत्महत्या कर ली। भला इंग्लैंड के इतने बड़े क्रिकेटर को ऐसी क्या समस्या थी कि उन्होंने खुद को ऐसे खत्म कर दिया?? जाहिर है अंदर एक कोलाहल रहा होगा जो उन्हें अपने साथ ले गया..। वैसे भी पैसे ज़रूरतों से ज़्यादा मानसिक सुकून बहुत आवश्यक है।
मैंने बहुत सालों से अनुभव किया है, हमारे समाज में या दुनिया में जिस तरह की लाइफस्टाइल को लेकर आकर्षण है, मुझे लगता है कुछ सालों बाद आधी दुनिया अवसाद में होगी। आज हर तीसरा आदमी अपनी टेंशन में डूबा हुआ है। एक-दूसरे से आगे निकलने की जद्दोजहद, असीमित सामाजिक दबाव…अवसाद के कई कारण होते हैं, लेकिन नींद की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। अब आधी दुनिया रात में सोती नहीं है, जबकि बहुत आवश्यक हो तो हो देर रात जागना चाहिए। वैसे भी नींद का जीवन में अपना एक मह्त्व होता है, इसके दुष्प्रभाव जल्दी पहिचान में नहीं आते, बल्कि धीरे-धीरे नींद की कमी गम्भीर समस्या बन जाती है ; और आज आधी से ज़्यादा युवाओं की आबादी इसकी गिरफ़्त में है। अब तो देर रात तक जगने का फैशन बन चुका है। रात में जागने के बाद जिम जाकर शरीर फुलाने से क्या हासिल होता है?? योग व्यायाम की जगह जिम करने की अंधी दौड़ भी युवाओ को परेशानी में डाल रही है। सेहत को लेकर ऐसी लापरवाही कई बीमारियों को जन्म देती हैं स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 7-8 घंटे की नींद सोना चाहिए। इससे कम सोने वाले लोगों को मोटापा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द आदि की समस्याओं से जूझना पड़ता है अगर आप भी ये गलती करते हैं, तो आपको बता दें कि आप अपनी सेहत के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं। पर्याप्त नींद नहीं लेने से आयु कम होती है। दक्षिण कोरिया में 16 सालों तक किए गए एक शोध के अनुसार जो लोग रात में ज्यादा देर जागना पसंद करते थे, उन्हें कम उम्र में ही अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा। जो लोग रात में ज्यादा देर तक जागते हैं, उन्हें मेमोरी लॉस, डिसीजन मेकिंग आदि में समस्या का सामना करना पड़ता है। देर से सोने वाले लोगों में मूड स्विंग भी देखे जा सकते हैं।
मैंने अब तक बहुत से चिकित्सकों से परामर्श लिया है, उन्होंने जिम जाने की बजाय योग, व्यायाम को सही बताया है। जबकि जिम जाने के अनेकों साइड इफेक्ट हैं। अतः सबसे पहले अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करते हुए रात में जल्दी सो जाएं रात सोने के लिए ही बनाई गई है, सुबह सूरज उगने से पहले उठ जाएं, सुबह योग, व्यायाम करने के बाद जल्दी नहाकर फ्रेश हो जाएं..उगते हुए सूरज को देखिए, सुबह चिड़ियों को देखिए, डिप्रेशन से आप पूर्णतः विजयी तो नहीं होंगे फ़िर भी आप आगे के लिए खुद को बेहतर कर पाएंगे। जब आपका मूड फ़्रेश होगा तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। जो अच्छा लगे वो कीजिए। समाने वाला जो करता है वही मुझे करना है इस धारणा से खुद को बचाकर रखिए..। अगर ये रात में अनावश्यक जागने का फैशन ट्रेंड में रहा तो देखिएगा दुनिया की आधी आबादी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से घिरी होगी। और यह समस्या बड़ी विकराल होगी…नींद की कमी से भी अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अपने घर परिवार आसपास लोगों को बताइए नींद का महत्त्व समझाएं, मैं ऐसे कितने लोगों को जानता हूँ जो रात में अनावश्यक जगते रहते थे, मेरे समझाने के बाद जल्दी सोने लगे हैं, योग, व्यायाम को तरजीह देने लगे हैं.। हालांकि कईयों के अवसाद का कारण आंतरिक समस्याएं भी हो सकती हैं, अतः आप चिकित्सकों का मार्गदर्शन लें, क्योंकि अवसाद को पूरी तरह से ठीक करने के लिए डॉक्टर की आवश्यकता होती है.

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