संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने अपने देश में भोजन की ‘नाजुक’ स्थिति को स्वीकार करते हुए चेतावनी दी है कि कश्मीर में भारत की नीतियों के एक और संघर्ष के ‘संभावित विनाशकारी परिणाम’ हो सकते हैं।
उन्होंने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में चेतावनी दी, “अगर कब्जे वाले कश्मीर में भारत की मौजूदा नीतियों से पैदा हुए तनाव और आक्रामक रुख पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे संभावित विनाशकारी परिणामों के साथ क्षेत्र में एक और संघर्ष हो सकता है।”
केंद्र शासित प्रदेश के साथ भारत के व्यवहार के बारे में कई शिकायतों को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा, “मैं सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और जम्मू और कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुसार जम्मू और कश्मीर विवाद को हल करने की जरूरत पर जोर देता हूं।”
हालांकि, पाकिस्तान ने 21 अप्रैल, 1948 को पारित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 को नजरअंदाज कर दिया है, जिसके तहत उसे कश्मीर से अपने सभी नागरिकों और कबायली लोगों को वापस बुलाने की जरूरत है, जिन्होंने वहां घुसपैठ की थी और उन्हें कोई सहायता नहीं दी थी।
इकबाल ने स्वीकार किया कि उनके देश का भोजन केंद्र ‘नाजुक’ दौर में पहुंच गया है और यह श्रीलंका जैसे परिदृश्य के ‘कगार’ पर आ गया है, लेकिन उसने कश्मीर की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से की तरह भोजन की ‘नाजुक’ स्थिति का सामना नहीं करता है।
इकबाल ने कहा, “पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा की स्थिति नाजुक हो गई है (और) हमें इस साल गेहूं का आयात करना होगा, जबकि वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति श्रृंखला पहले से ही बाधित है।”