मिश्र में हो रहे सीओपी 27 यानी जलवायु शिखर सम्मेलन में अनुकूलन और कृषि विषयक दिवस इस बात पर केंद्रित था कि दुनिया आठ अरब लोगों को कैसे खिलाएगी। पूरे दिन वक्ताओं ने इस पर प्रकाश डाला। सम्मलेन में सतत परिवर्तन के लिए खाद्य और कृषि (एफएएसटी), सतत शांति के लिए जलवायु प्रतिक्रिया (सीआरएसपी), अफ्रीका के लिए सभ्य जीवन और जलवायु कार्रवाई और पोषण पर पहल (आई-सीएएन) के परिवर्तन पर विचार किया जाएगा।
गौरतलब है कि सूखे कारण अफ्रीका में 37 मिलियन लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान में अभूतपूर्व बाढ़ ने देश के प्रमुख कृषि क्षेत्रों को तबाह कर दिया है और यूरोप व अमेरिका में रिकॉर्ड तोड़ तापमान के कारण फसल की पैदावार में भारी कमी आई है।
यूक्रेन व रूस के बीच जारी युद्ध ने गेहूं, तिलहन और उर्वरक में वैश्विक कमी कर दी है और इनकी कीमतों में बढ़ोतरी की है।
कोप 27 के अध्यक्ष समेह शौकरी ने कहा, जैसा कि हम मानव विकास में एक मील के पत्थर तक पहुंचते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी खाद्य प्रणालियां दुनिया भर के समुदायों को समावेशी, जिम्मेदार और टिकाऊ तरीके से उत्पादित भोजन प्रदान करने में सक्षम हैं।
आज की दुनिया में फास्ट जैसी पहल महत्वपूर्ण हैं, जहां भू-राजनीतिक बदलाव और चरम मौसम की घटनाएं खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा कर सकती हैं जो दुनिया को नुकसान पहुंचाती हैं। गरीबी और भूख और कुपोषण को बढ़ाती हैं।
सम्मेलन में शनिवार को कई सत्रों में अनुकूलन और जलवायु अनुकूल कृषि पर प्रकाश डाला गया।