बीजिंग, | जर्मनी मुद्रा वित्तीय संस्था के सरकारी मंच की वेबसाइट की 3 जून की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व जर्मन चांसलर श्रोएडर ने कहा कि बीते कई वर्षो में वैश्विक परिस्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। बाइडेन सरकार चीन को इस सदी की सबसे बड़ी राजनयिक, आर्थिक व सुरक्षा चुनौती मानती है। वाशिंगटन ने अपना ध्यान यूरोप से चीन में स्थानांतरित कर दिया है और चीन के प्रभाव को रोकने की कोशिश की। अमेरिका ने यूरोप से चीन विरोधी कार्रवाई में भाग लेने की मांग की, लेकिन क्या यह यूरोपीय लोगों के हित में है? नए शीत युद्ध के अलावा और क्या कोई विकल्प है?
चीन विश्व का व्यापार, निवेश और विकास साझेदार है, जिस का स्वागत दुनिया करती है। लेकिन साथ ही पेइचिंग पक्ष विदेशी तकनीक पर निर्भरता से छुटकारा पाने की कोशिश भी करता है। 5जी, एआई और जैविक तकनीक आदि क्षेत्रों में चीन द्वारा प्राप्त भारी प्रगति को मद्देनजर चीन संभवत: आगामी 20 सालों में इस अहम लक्ष्य को साकार करेगा।
चाहे चीन एक कठोर राजनीतिक साझेदारी है, तो भी यूरोपीय लोगों को चीन-अमेरिका व्यापार शीत युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए। बाइडेन सरकार ने इसे लोकतंत्र और अधिनायकत्व के बीच मुठभेड़ बताया, जबकि यह एक नैतिक विदेश नीति है, जो पश्चिमी मूल्य विचारधारा को हितों के ऊपर रखती है और गलत दिशा दिखाती है। मौसम परिवर्तन और महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का उभय प्रयास एकमात्र तरीका है।
इसी जटिल और परिवर्तित काल में यूरोपीय लोगों को स्थिर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की स्थापना कर अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए, वातार्लाप में भाग लेना चाहिए और बहुपक्षवाद को मजबूत करना चाहिए। चूंकि यही सबसे अच्छा सहयोग का तरीका है।