चीन ने चीन-अमेरिका संबंध की तीन अंतिम रेखाएं बतायीं

चीन ने चीन-अमेरिका संबंध की तीन अंतिम रेखाएं बतायीं

बीजिंग, | चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 26 जुलाई की शाम थ्येनचिन में अमेरिकी उप विदेशमंत्री वेंडी शेरमेन से मुलाकात की। मुलाकात में वांग यी ने कहा कि हाल में चीन-अमेरिका संबंध अति कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आगे मुठभेड़ या प्रतिरोध की ओर बढ़ेंगे या सुधार की दिशा में विकसित होंगे, अमेरिका को संजीदगी से सोच-विचार कर सही विकल्प चुनना चाहिए।

वांग यी ने आगे कहा कि अमेरिका की नयी सरकार पूर्व सरकार की अति गलत नीति को अपनाते हुए निरंतर चीन की अंतिम रेखा की चुनौती दे रही है और चीन पर दबाव डाल रही है, जिसका चीन ²ढ़ विरोध करता है।

वांग यी ने जोर दिया कि चीन के विकास और पुनरुत्थान की भारी भीतरी प्रेरणा शक्ति है, जो इतिहास के विकास की आवश्यक प्रवृत्ति है। चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर चलता रहेगा और आपसी लाभ व साझी जीत वाले खुलेपन की रणनीति अपनाता रहेगा। चीन के विकास का मकसद सभी चीनियों को खुशी देना है। चीन का विकास अमेरिका के लिए खतरा नहीं है, साथ ही चीन अमेरिका की जगह भी नहीं लेना चाहता है। साथ ही, चीन का विकास अमेरिका की मंदी पर भी आधारित नहीं है।

दोनों देशों के बीच मतभेदों को अच्छी तरह नियंत्रित करने और चीन-अमेरिका संबंध के और खराब होने से बचाने के लिए चीन ने अमेरिका से तीन अंतिम रेखाएं पेश कीं।

पहला, अमेरिका को चीनी विशेषता वाले समाजवादी रास्ते और प्रणाली को बदनाम कर चीनी सत्ता का पतन करने की कुचेष्टा नहीं करनी चाहिए। चीनी रास्ता और चीनी प्रणाली इतिहास का विकल्प है, साथ ही चीनी लोगों का विकल्प भी है। यह चीन का केंद्रीय हित है।

दूसरा, अमेरिका को चीनी विकास प्रक्रिया में बाधा नहीं डालना चाहिए। चीनी लोगों को बेहतर जीवन बिताने का अधिकार है। आधुनिकीकरण अमेरिका का विशेष अधिकार नहीं है। चीन अमेरिका से चीन के खिलाफ सभी एकतरफावादी प्रतिबंध को उठाने का आह्वान करता है।

तीसरा, अमेरिका को चीन की प्रभुसत्ता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। शिनच्यांग, तिब्बत और हांगकांग संबंधी सभी मुद्दे मानवाधिकार या लोकतंत्र के मुद्दे नहीं हैं। किसी भी देश अपनी प्रभुसत्ता की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने को अनुमति नहीं देता है। जबकि थाईवान मसला इनमें सबसे अहम है। हालांकि अभी एकीकरण नहीं है, फिर भी थाईवान और चीन की मुख्यभूमि एक ही चीन है। थाईवान चीन की प्रदेशिक भूमि का एक भाग है। यह बुनियादी तथ्य न कभी बदला है और न ही कभी बदलेगा।

वांग यी ने यह भी कहा कि चीन और अमेरिका सबसे बड़ा विकासमान देश और विकसित देश हैं। दोनों एक दूसरे की जगह नहीं ले सकते और किसी को पराजित भी नहीं कर सकते। चीन का सुझाव है कि दोनों पक्ष संवाद करने से एक ही रास्ते की खोज करें, ताकि इस पृथ्वी पर दोनों बड़े देश शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में रह सकें। यह न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी अच्छी बात होगी।

मुलाकात में अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन ने कहा कि अमेरिका-चीन संबंध विश्व में सबसे अहम द्विपक्षीय संबंध है। अमेरिका चीन के साथ खुली बातचीत करने को तैयार है। अमेरिका भी आशा करता है कि दोनों देश शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में रहें। अमेरिका चीन के विकास को सीमित नहीं करना चाहता है और चीन के विकास को देखकर खुश है। दोनों देश मौसम परिवर्तन का निपटारा करने, मादक पदार्थों की तस्करी पर पाबंदी लगाने और अंतर्राष्ट्रीय अहम मुद्दों पर सहयोग कर सकते हैं, साथ ही संकट पर नियंत्रण की क्षमता को मजबूत कर मुठभेड़ से बच सकते हैं।

आशा है कि दोनों देश मिलकर कार्रवाई करेंगे और द्विपक्षीय संबंधों का सुधार करेंगे। वेंडी शेरमेन ने यह दोहराया कि अमेरिका एक चीन की नीति पर कायम रहता है और थाईवान की स्वाधीनता का समर्थन नहीं करता है।

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