पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक नया विवाद पैदा हो गया है, हुआ यूं कि जब अफगान महावाणिज्य दूत हाफिज मोहिबुल्लाह शाकिर ने पेशावर में पाकिस्तान के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होने से इंकार कर दिया। यह घटना खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर द्वारा आयोजित रहमत-उल-आलमीन सम्मेलन में घटी, जहां राष्ट्रगान बजते समय शाकिर और उनके सहयोगी अपनी सीटों पर बैठे रहे।
इस प्रोटोकॉल उल्लंघन ने पाकिस्तानियों को गुस्सा कर दिया है। पाकिस्तान के विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक इस राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन और मेज़बान देश के प्रति अपमान मान रहे हैं।
इतना ही नहीं पाकिस्तान में इस मुद्दे को लेकर गंभीर प्रतिक्रिया सामने आ रही है। विशेषज्ञों ने शाकिर को देश से निष्कासित करने की मांग कर खैबर पख्तूनख्वा सरकार की आलोचना की है, जिसने उस राजनयिक को आमंत्रित किया जो पाकिस्तान के राष्ट्रगान की गरिमा का सम्मान नहीं करता। विदेश मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह इस घटना पर संज्ञान ले और राजनयिक मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ औपचारिक डेमार्शे जारी करें।
यह विवाद तब खड़ा हुआ है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे हैं। अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह दे रही है, जो पाकिस्तान में आतंकवादी हमले कर रहा है। पाकिस्तान ने तालिबान से टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, लेकिन तालिबान प्रशासन इस पर गंभीर नहीं दिख रहा है। इसके जवाब में, तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान की जमीन पर भी आतंकी सक्रिय हैं, जो हमले कर रहे हैं।
इस बीच, खैबर पख्तूनख्वा के प्रवक्ता बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने कहा है कि वे अफगान राजनयिकों के साथ संपर्क में हैं और उचित कार्रवाई के लिए सलाह दी जाएगी।