वेयरहाउस मालिकों व प्रशासन के टकराव में उलझा धान का भुगतान

जबलपुर। उपार्जन केंद्रो पर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज को बेचना व समय पर भुगतान पाना कठिन बनता जा रहा है। दो दिसम्बर से प्रारंभ हुई धान खरीदी में जबलपुर जिले में अभी तक ग्यारह हजार किसानों से नौ लाख नब्बे हजार क्विंटल धान खरीदी की जा चुकी है। जिसका मात्र नौ करोड़ अस्सी लाख रूपये का ही किसानों को भुगतान हो पाया है और लगभग 218 करोड़ की राशि बकाया है। भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटैल ने चिंता जाहिर करते हुये कहा कि गेहूं, चना व मटर की फसल में लागत के लिये किसान को अभी पैसे की जरूरत है। भुगतान की समय सीमा सात दिन बीत चुकी है। बीस दिन हो जाने के बाद भी धान का भुगतान न होने के कारण किसान परेशान है। श्री पटैल ने प्रशासन से मांग करते हुये कहा कि धान के भुगतान की प्रक्रिया में अतिशीघ्र तेजी लाई जाये।
ये है तुलाई से भुगतान तक की प्रक्रिया…..
किसान स्लाट बुक करने के बाद निर्धारित तिथि पर अपने स्वयं के साधन टेक्टर टाली में धान ले जाकर खरीदी केंद्र पर ढेर लगा देता है, उसके बाद नियुक्त सर्वेयर एफएक्यू के अनुसार धान की जांच करता है। यदि धान एफएक्यू के अनुसार है तो केंद्र पर मौजूद पल्लेदार उसकी तुलाई करते है। तुलाई पूरी होने के बाद कम्प्यूटर आपरेटर आनलाईन किसान के रजिस्ट्रेशन नंबर पर धान की तुलाई मात्रा को चढ़ाता है और किसान को उसकी पक्की पर्ची दे दी जाती है। उसके बाद धान का उठाव कर उसे वेयरहाउस में रख टीपी काट किसान को भुगतान किया जाता है।
उलझा किसान का भुगतान..
वेयरहाउस मालिकों व प्रशासन की लड़ाई में धान खरीदी सुचारू रूप से नहीं होने के कारण किसान परेशान है। धान खरीदी केंद्रो से धान का परिवहन व वेयरहाउस में रखने की धीमी गति के कारण धान का भुगतान नहीं हो पा रहा है। नियमानुसार वेयरहाउस में निर्धारित मात्रा का स्टेक पूर्ण होने के बाद ही टीपी काटी जाती है और उसके बाद किसान को भुगतान किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। किसानों का कहना है कि परिवहन व वेयरहाउस में रखे जाने की प्रक्रिया में प्रशासन व वेयरहाउस मालिकों में सामंजस्य न होने का खामियाजा किसान भुगतने को मजबूर है। वेयरहाउस मालिक व परिवहनकर्ता धान उठाव करने में जानबूझकर लेटलतीफी कर रहे है।
लागत के अभाव में प्रभावित होगी अगली फसल..
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल का कहना है कि धान का भुगतान लेट होने के कारण लागत के अभाव में किसान की वर्तमान की फसल प्रभावित होने की संभावना है। किसान को गेहूं, चना व मटर की फसल में खाद, कीटनाशक डालने के लिए लागत की आवश्यकता है। समय पर धान का भुगतान न होने से लागत के अभाव में फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा। जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है।

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