नई दिल्ली। कांग्रेस में मची कलह के बीच शुक्रवार को पार्टी की वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई। मीटिंग में तय हुआ कि पार्टी का नया अध्यक्ष जून में चुना जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह फैसला होने से पहले पार्टी के दो गुटों के बीच बहस हुई और राहुल गांधी को दखल देना पड़ा। राहुल ने कहा- सभी से कह रहा हूं कि अब इस मुद्दे को छोड़िए और आगे बढ़िए।
मीटिंग में शामिल गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और पी चिदंबरम ने संगठन के चुनाव तुरंत करवाने की मांग की। लेकिन, अशोक गहलोत, अमरिंदर सिंह, एके एंटनी, तारिक अनवर और ओमान चांडी ने आपत्ति जताई। इन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव 5 राज्यों के चुनावों के बाद होना चाहिए।
क्या सोनिया की लीडरशिप पर भरोसा नहीं
जल्द चुनाव करवाने की मांग करने वाले नेताओं से अशोक गहलोत ने कहा- हम किससे एजेंडे पर चल रहे हैं? भाजपा तो हमारी तरह आंतरिक चुनाव करवाने की बात नहीं करती है? क्या जल्द चुनाव की मांग करने वालों को सोनिया गांधी की लीडरशिप पर भरोसा नहीं। संगठन के चुनावों की बजाय हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि राज्यों में होने वाले चुनावों पर ध्यान दें।
कांग्रेस के एक गुट की मांग- प्रेसिडेंट फुल टाइम हो और एक्टिव भी रहे
2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी ने बतौर कार्यकारी अध्यक्ष फिर से पार्टी की कमान संभाली थी। कांग्रेस नेताओं का एक गुट फुलटाइम और एक्टिव प्रेसिडेंट चुनने की मांग कर रहा है। गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष बनाने की मांग भी उठती रही है।
सोनिया ने पिछले महीने नाराज नेताओं से मुलाकात की थी
कांग्रेस के 23 सीनियर लीडर्स ने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई थी। इन्होंने पार्टी में बड़े फेरबदल की जरूरत बताई। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, भूपिंदर सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल थे। इन नेताओं के साथ सोनिया ने पिछले महीने मीटिंग कर सभी मुद्दों पर बात की थी। बैठक में राहुल और प्रियंका भी शामिल हुए थे।
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा
CWC की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सरकार ने जो अमानवीयता और गुरूर दिखाया, वह चौंकाता है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को जल्दबाजी में पास किया। संसद में इन्हें ठीक से समझने का मौका नहीं दिया गया।