नई दिल्ली, | ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी या बार्क) ने 2019-2020 की सालाना टीवी व्यूअरशिप रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल भारत में टेलीविजन पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले व्यक्ति रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान दिए गए मोदी के संबोधन से लेकर कोविड-19 वैक्सीन निर्यात करने में देश की अग्रणी भूमिका और किसान आंदोलन जैसे तमाम मुद्दे इसमें शामिल हैं।
हम यहां ऐसे तीन टॉप ट्रेंड शेयर कर रहे हैं, जो इस रिपोर्ट में सीधे तौर पर सामने आते हैं।
1. मोदी लहर
प्रधानमंत्री मोदी के इम्पैक्ट को समझाते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है, “चाहे उनके इंटरव्यू हों, वैश्विक कार्यक्रमों में दिए गए उनके भाषण हों, देश के लिए संबोधन हो और यहां तक कि वाइल्डलाइफ एडवेंचर शो हो। हर तरह के कंटेंट ने उनकी व्यूअरशिप को लेकर नए रिकॉर्ड बनाए हैं।”
साल 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए गए भाषण की तुलना में पिछले साल लालकिले पर दिए गए उनके 2 घंटे के भाषण की व्यूअरशिप 40 फीसदी ज्यादा थी। उनके इस भाषण को 133 मिलियन (13.3 करोड़) दर्शकों ने देखा था। इसी तरह 24 मार्च, 2020 को पहले लॉकडाउन की घोषणा वाले भाषण को जितने व्यूइंग मिनट मिले थे, उतने तो उनके किसी भी संबोधन को नहीं मिले थे।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हर बार जब भी प्रधानमंत्री मोदी के कोरोनावायरस संबंधी भाषण हुए, तब जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स (जीईसी), फिल्मों और बच्चों के दर्शकों की संख्या में भारी गिरावट आई।” यहां तक कि 9 मिनट बत्ती बंद कर दीया या मोमबत्ती जलाने के उनके आह्वान ने भी जीईसी टीवी व्यूअरशिप में 60 फीसदी की गिरावट ला दी थी।
पौराणिक शो और दूरदर्शन ने किया राज
पिछले साल, “हिंदी जीईसी शैली में पौराणिक शो के दर्शकों की व्यूअरशिप 2020 के 15वें हफ्ते में 14 प्रतिशत से 43 प्रतिशत तक बढ़ गई थी।” उसमें भी कमाल की बात यह थी कि जिस कंटेंट को इतनी भारी व्यूअरशिप मिली, वह नया नहीं था, बल्कि कई साल पुराना था। इसने दूरदर्शन को वापसी करने में बहुत बड़ी मदद दी। ‘रामायण’, ‘महाभारत’ और अस्सी-नब्बे के दशक के अन्य लोकप्रिय टीवी कार्यक्रमों को फिर से प्रसारित करने के चैनल के फैसले ने इसके दर्शकों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 68 प्रतिशत की वृद्धि की है।
कायम रहा फिल्मों के लिए प्यार
जीईसी के उलट फिल्मों के लिए लोगों का प्यार कायम रहा। फिल्मों के चैनल को व्यूअरशिप के मामले में किसी भी तरह की रुकावट या गिरावट का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि 2019 की तुलना में इनके दर्शकों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में कहा गया, “हिंदी फिल्मों की तुलना में क्षेत्रीय फिल्मों की व्यूअरशिप में ज्यादा बढ़ोतरी हुई। हालांकि फिल्मों की कुल व्यूअरशिप का 60 फीसदी हिस्सा हिंदी भाषा की फिल्मों के खाते में जाता है। हिंदी के बाद बड़ा मार्केट तेलुगू, तमिल और कन्नड़ प्रमुख हैं।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मूल कंटेंट की कमी के कारण साल के शुरुआती 6 महीनों में जीईसी कंटेंट की हिस्सेदारी कम रही। हालांकि जुलाई के बाद लॉकडाउन प्रतिबंध ढीले होते ही स्थितियां सामान्य हो गईं थीं।