SC में मुख्तार अंसारी मामले में सुनवाई पूरी, पंजाब से यूपी ट्रांसफर करने पर फैसला रखा गया सुरक्षित

SC में मुख्तार अंसारी मामले में सुनवाई पूरी, पंजाब से यूपी ट्रांसफर करने पर फैसला रखा गया सुरक्षित

लखनऊ। यूपी के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पंजाब की जेल में बंद है। यूपी को मुख्तार अंसारी चाहिए, लेकिन पंजाब मुख्तार अंसारी को देने को तैयार नहीं है। ऐसे में दोनों राज्य सरकारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। मुख्तार अंसारी को वापस यूपी भेजने के मामले की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फिर सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है।

सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें प्रयागराज की कोर्ट से पत्र मिला कि हाईकोर्ट ने 3 डॉक्टरों की टीम बनाने कहा है। हमने सीएमओ डॉक्टर एच एन शर्मा के नेतृत्व में टीम बनाई। केंद्र के तहत आने वाले पीजीआई चंडीगढ़ की भी रिपोर्ट भेजी। हर बार सुप्रीमकोर्ट में मामला स्थगित होता है। उससे पहले सॉलिसीटर जनरल पंजाब सरकार के बारे में कुछ बोल देते हैं। अगले दिन मीडिया में वह छप जाता है। हमें अपराधी से सहानुभूति नहीं। वह पंजाब में कोर्ट के आर्डर से है।

वकील दुष्यंत ने कहा कि यूपी की गलती है कि वह जेल में भी फोन का इस्तेमाल कर लोगों को धमका रहा था। हमे मुख्तार से कोई लेना देना नहीं। हमारे लिए वो दूसरे अपराधी की तरह है। पंजाब में उगाही का केस दर्ज है। ये UP सरकार की दिक्कत है कि वो पता करें कि उसकी जेल में रहते हुए कैसे वो फोन(उगाही) के लिए कर पाता है। यूपी की मांग संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। अगर इसे माना गया तो भविष्य में ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी। कोर्ट यूपी की याचिका खारिज कर दे। यह कहना गलत कि पंजाब में मुख्तार के होने से उत्तर प्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया रुकी है। सभी मुकदमे 15-20 साल पुराने हैं। वर्तमान सरकार भी लंबे समय से सत्ता में गया। उसने भी मुस्तैदी नहीं दिखाई। अब पंजाब पर दोष मढ़ रहे हैं।

वहीं इस पर मुख्तार अंसारी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अनु. 32 के तहत सुप्रीमकोर्ट में याचिका कर ही नहीं सकता। मौलिक अधिकार नागरिक का होता है, राज्य का नहीं। यूपी पंजाब में चल रहा मुकदमा अपने पास ट्रांसफर करने की मांग भी नहीं कर सकता। पंजाब में जो केस है, वह पंजाब सरकार और मेरे बीच का मामला। यूपी का इसमें कोई रोल नहीं हो सकता।

रोहतगी ने कहा कि “केस दिल्ली ट्रांसफर करने पर आपत्ति नहीं। यूपी में मुख्तार सुरक्षित नहीं, हमले हो चुके हैं। कृष्णानंद राय हत्या केस में बरी हुआ, लेकिन उसी केस में सहआरोपी मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई।” कोई कानूनी प्रावधान UP के पक्ष में नहीं। तभी SC से विशेष शक्ति इस्तेमाल करने कह रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि यूपी सरकार मेरे प्रति दुर्भावना रखती है। मेरे मकान को गिराया गया। मेरे बेटे को फ़र्ज़ी एफआईआर में गिरफ्तार किया गया।

वहीं इसके बाद यूपी सरकार के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने रोहतगी और दवे की दलीलों का जवाब देना शुरू किया। यह सही है कि राज्य का मौलिक अधिकार नहीं होता, लेकिन राज्य आम नागरिकों की तरफ से आपराधिक मुकदमा लड़ता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। सुप्रीमकोर्ट न्याय के हित में आदेश दे सकता है। जेल मैनुएल का हवाला देकर आरोपी न्याय में बाधा नहीं डाल सकता।

तुषार मेहता ने कहा कि मुख्तार पर 50 FIR. 14 केस एडवांस स्टेज पर है, वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई नहीं हो सकती। फिर तो कहा जाएगा कि माल्या का केस भी ऐसे ही कर लिया जाए। मुन्ना बजरंगी मामला 2018 का है, बृजेश सिंह 2001 का है, मुख्तार के भाई पर हमला 2004 का है,इन बातों के आधार पर वो उत्तर प्रदेश न आने की दलील नहीं दे सकता। मेहता ने कहा कि एक बार मुख्तार यूपी आ जाए तो कोर्ट से वीडियो कांफ्रेंसिंग की मांग कर सकता है।

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