भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून दमन का साधन नहीं बल्कि न्याय का साधन बना रहे, यह तय करना केवल न्यायधीशों का नहीं, बल्कि सभी नीति निर्धारकों की जिम्मेदारी है। उन्होंन शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुये टिप्पणी की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकों से उम्मीदें रखना बहुत अच्छी बात है लेकिन हमें संस्थानों के रूप में अदालतों की सीमाओं और उनकी क्षमता को समझने की भी जरूरत है।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कभी-कभी कानून और न्याय आवश्यक रूप से एक ही रेखीय प्रक्षेपवक्र का पालन नहीं करते हैं। कानून न्याय का एक साधन हो सकता है, लेकिन कानून उत्पीड़न का एक साधन भी हो सकता है। हम जानते हैं कि कैसे औपनिवेशिक काल में वही कानून प्रताड़ना के साधन बने थे। तब के समय की क़ानून की किताबें आज उत्पीड़न के साधन के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं।