नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर को कोर्ट से आज जमानत मिल गई है। आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में वह आज पेश हुईं थी, जहां कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। हालांकि, कोर्ट से मंजूरी लिए बगैर देश छोड़ने की इजाजत चंदा कोचर को नहीं मिली है।
धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने 30 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत और मामले के अन्य आरोपियों को तलब किया था। चंदा कोचर ने विशेष न्यायाधीश ए ए नांदगांवकर के समक्ष अपने वकील विजय अग्रवाल के माध्यम से जमानत याचिका दायर की। अदालत ने ईडी से उसकी जमानत अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
सितंबर 2020 में दीपक कोचर को किया था गिरफ्तार
कोचर, धूत और अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन का आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने सितंबर 2020 में दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली आईसीआईसीआई बैंक की एक समिति ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपए के कर्ज की मंजूरी दी और कर्ज जारी करने के अगले दिन वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज ने आठ सितंबर 2009 को 64 करोड़ रुपए न्यूपॉवर रिन्यूएबल प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को हस्तांतरित किए। एनआरपीएल के मालिक दीपक कोचर हैं।
पिछली सुनवाई में नंदगांवकर ने कहा था कि पीएमएलए के तहत उपलब्ध कराई गई सामग्री, लिखित शिकायतों और दर्ज बयानों को देखते हुए ऐसा जान पड़ता है कि चंदा कोचर ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए आरोपी धूत और/वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को कर्ज दिए। न्यायाधीश ने कहा, ”और ऐसा जान पड़ता है कि उन्होंने अपने पति के जरिए रिश्वत/अनुचित लाभ उठाया। अदालत ने कहा कि ईडी ने जो सामग्री उपलब्ध करायी है, वह आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्याप्त है।
गौरतलब है कि कोचर एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले का सामना कर रही हैं। इस मामले में बैंक के साथ वीडियोकॉन समूह भी शामिल है। यह मामला आईसीआईआई बैंक से 1,875 करोड़ रुपए का ऋण आवंटित करने में किए गए भ्रष्टाचार से जुड़ा है। मामले में वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत भी जांच के दायरे में हैं।