नई दिल्ली, | आम आदमी पार्टी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लंबे इंटरव्यू के वीडियो को एडिट कर किसानों पर कृषि विरोधी काले कानून थोपने की साजिश रची है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक किसानों के खिलाफ सभी साजिशें विफल होने के बाद अब अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता का सहारा लेने का कुचक्र रचा गया है। सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी को मालूम है कि आज देश की जनता केवल केजरीवाल की बात पर विश्वास कर सकती है। इसलिए बीजेपी ने कृषि कानूनों पर फर्जी डॉक्टर्ड वीडियो जारी किया है। इसके खिलाफ आम आदमी पार्टी कानूनी कार्रवाई करेगी।
आम आदमी पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि देश में एकमात्र अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता है, जिसका लाभ उठाने के लिए भाजपा ने उनके इंटरव्यू के वीडियो को एडिट कर ट्वीट किया है।
सिसोदिया ने कहा कि शनिवार को भारतीय जनता पार्टी ने एक वीडियो ट्वीट करके दावा किया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों किसान कानूनों का समर्थन किया है। यह अरविंद केजरीवाल के लंबे इंटरव्यू को जोड़-तोड़ कर फर्जी तरीके से डॉक्टर्ड फर्जी बाइट क्रिएट किया गया है।
सिसोदिया ने फर्जी वीडियो के साथ ही अरविंद केजरीवाल का असली इंटरव्यू भी दिखाकर बताया कि इसमें किन हिस्सों को हटाकर फजीवाड़ा किया गया है। सिसोदिया ने कहा कि यह वीडियो देखकर पहले मुझे गुस्सा आया कि भाजपा के लोग इतनी नीचता पर उतर आए हैं कि टीवी पर आए एक इंटरव्यू को इस तरह एडिट कर पेश कर रहे हैं। लेकिन मुझे बीजेपी पर दया भी आई कि जिस पार्टी की कई राज्यों और केंद्र में सरकार है, वह आज इतनी बेचारी और असहाय हो गई है कि उसे अपने कृषि कानूनों की विश्वसनीयता कायम करने के लिए अरविंद केजरीवाल के इंटरव्यू के वीडियो को एडिट करना पड़ रहा है।
सिसोदिया ने कहा कि आज बीजेपी की विश्वसनीयता इतनी गिर गई है कि अपनी सरकार के कानूनों की सफाई में उन्हें अरविंद केजरीवाल के एडिट किए गए वीडियो का सहारा लेना पड़ रहा है।
सिसोदिया के मुताबिक किसानों को यह बात समझ में आ चुकी है कि उनके साथ धोखा हुआ है। जब बीजेपी उन्हें समझाने में विफल रही, तो पहले किसानों को गद्दार घोषित किया गया, फिर उन्हें खालिस्तानी कहा गया।
दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में किसान कानून के पक्ष में गिनाए जा रहे फायदों को फैक्ट और तर्क से खारिज किया था। उस इंटरव्यू के वीडियो को एडिट कर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया।