किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर कल आदेश जारी करेगा SC

किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर कल आदेश जारी करेगा SC

नई दिल्ली। किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। अब इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना आदेश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए सख्ती दिखताते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि अगर आप तीनों कृषि कानून पर रोक नहीं लगाएंगे तो हम लगा देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने किसानों से पूछा कि क्या वो हमारी बनाई हुई कमेटी के पास जाएंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है. ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की बड़ी बातें

  • CJI ने किसानों के वकील से कहा कि आप किसानों के बीच जाइए और उनको संदेश दीजिए कि सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि प्रदर्शन में शामिल बुजुर्ग और बच्चे अपने-अपने घरों को लौट जाएं।
  • कोर्ट ने कहा कि हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं. हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में। 
  • सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि इस तरह से किसी कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। इसपर कोर्ट ने कहा कि हम सरकार के रवैये से खफा हैं और हम इस कानून को रोकने की हालत में हैं। 
  • कोर्ट में AG ने कहा कि किसान 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे, इसका इरादा रिपब्लिक डे परेड में व्याधान डालना है। इस किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ऐसा नहीं होगा, राजपथ पर कोई ट्रैक्टर नहीं चलेगा।
  • कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मामले को सही से नहीं संभाल पाई। सरकार बताए कि किसानों के साथ क्या बातचीत हुई और क्या समझौते किए गए। 
  • अदालत में सरकार की तरफ से कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे। किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा, जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं।
  • AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि 2000 किसान प्राइवेट पार्टियों के साथ पहले ही करार कर चुके हैं, अब ऐसे में कृषि कानूनों पर रोक लगाने से उनका भारी नुकसान होगा। 

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