नई दिल्ली, | केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से फसलों की खरीद जारी रहने का भरोसा दिलाते है हुए कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए खाद्यान्नों की सरकारी खरीद जरूरी है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बुधवार को यहां एक प्रेसवार्ता में कहा कि सरकार को हर साल के लिए 550 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता होती है, जिसकी खरीद एमएसपी पर ही की जाती है।
इससे पहले कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने एमएसपी को लेकर मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था आगे भी बनी रहेगी और इस साल पंजाब और हरियाणा में धान की खरीद तय समय (एक अक्टूबर ) से पहले 26 सितंबर से ही शुरू कर दी गई।
नये कृषि कानून को लेकर पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। विरोध की एक वजह यह है कि किसानों को आशंका है कि नये कानून में एमएसपी पर फसलों की खरीद को लेकर कोई जिक्र नहीं होने से आगे सरकार इस व्यवस्था को समाप्त कर सकती है। लिहाजा, इस विषय पर केंद्र सरकार की ओर से लगातार बयान दिया जा रहा है कि एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था आगे जारी रहेगी।
एमएसपी पर किसानों से फसलों की खरीद का जो ब्योरा अधिकारियों ने दिया उसके अनुसार, इस साल रबी सीजन में किसानों को गेहूं, धान, दलहनों और तिलहनों के एमएसपी के तौर पर 1,13,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जोकि पिछले साल की इसी अवधि के 86,805 करोड़ रुपये से 31 फीसदी ज्यादा है।
प्रेसवार्ता में मौजूद केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय में सचिव रवि कपूर ने कपास की सरकारी खरीद की सरकार की योजना की जानकारी दी। कपूर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की नई फसल की आवक शुरू होने के साथ-साथ एमएसपी पर खरीद भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि भारतीय कपास निगम ने पिछले सीजन में रिकॉर्ड 105 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) कपास खरीदी थी और इस साल उस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 125 लाख गांठ कपास खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
चालू खरीफ सीजन में धान की खरीद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी शुरू हो चुकी है और छह अक्टूबर तक 15 लाख टन से ज्यादा धान की खरीद हो चुकी है।
भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई और राज्यों की एजेंसियों ने चालू सीजन में 738 लाख टन धान (495 लाख टन चावल) खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल 626 लाख टन धान (420 लाख टन चावल) की खरीद हुई थी।