क्या केंद्रीय बजट शिक्षा क्षेत्र की अपेक्षाओं को पूरा करता है?

क्या केंद्रीय बजट शिक्षा क्षेत्र की अपेक्षाओं को पूरा करता है?

नई दिल्ली, | वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को पहला पेपरलेस बजट, केंद्रीय बजट 2021 पेश किया। बजट में कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य सभी क्षेत्रों के पुनरुद्धार को प्रमुखता दी गई है। इस बीच शिक्षा क्षेत्र के दिग्गजों की ओर से बजट को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। शिक्षा क्षेत्र ने महसूस किया कि भारतीय शिक्षा में डिजिटलीकरण की गति बढ़ाने के अवसर पर पूंजीकरण को लेकर बजट कुछ कम रहा है, जिससे युवा आबादी के लिए दूरगामी लाभ हो सकता है।

बजट को लेकर जहां देशभर में कई बहसें चल रही हैं, वहीं शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख दिग्गजों की केंद्रीय बजट 2021 पर कुछ त्वरित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

एचएसएनसी विश्वविद्यालय के प्रोवोस्ट (अध्यक्ष) डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने वित्तमंत्री द्वारा घोषित भविष्य के उपायों की सराहना की। उन्होंने बजट को शिक्षा क्षेत्र के लिए आधुनिक दृष्टिकोण वाला बताया। बजट के बारे में बात करते हुए हीरानंदानी ने कहा, “तैयार की गई रूपरेखा राष्ट्रीय शिक्षा मिशन जैसी व्यापक पहल और उपायों के माध्यम से वैश्विक मानचित्र पर भारत की उन्नति के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है। प्राथमिक शिक्षा और जनजातीय क्षेत्रों के लिए विस्तारित समर्थन जारी है।”

उन्होंने यह भी माना कि बजट में कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) के साथ ही उच्च शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

हालांकि, फिक्की अराइज के चेयरमैन मनित जैन का मानना है कि बजट में अपेक्षित रूप से महत्वपूर्ण घोषणाएं नहीं की गई हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा स्थापित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, शिक्षा क्षेत्र के लिए पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता है। कोविड-19 और कई प्रतिस्पर्धी सामाजिक क्षेत्रों के कारण हम जिस आर्थिक संकट में हैं, उसे देखते हुए यह समय है कि राज्य और केंद्र सरकार शिक्षा में निवेश करने के लिए निजी पूंजी (प्राइवेट कैपिटल) को आमंत्रित करें।”

एक्सपेरिएंशियल लर्निग सिस्टम के सीईओ और द हेरिटेज स्कूल के निदेशक विष्णु कार्तिक ने कोविड-19 के मुश्किल दौर में शिक्षा क्षेत्र को हुए नुकसान के बारे में बात की।

उन्होंने कहा, “कोविड-19 ने शिक्षा क्षेत्र को वित्तीय निरंतरता के साथ-साथ सीखने के संदर्भ में भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए बजटीय खर्च का विस्तार करने को लेकर कुछ भी विशिष्ट नहीं है। लेकिन यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि अधिक राजस्व भी नहीं है।”

वधवानी फाउंडेशन में कार्यकारी उपाध्यक्ष सुनील दहिया ने 3000 करोड़ की राष्ट्रीय शिक्षुता योजना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “बजट में शिक्षुता (अप्रेंटिस) अधिनियम के प्रस्तावित संशोधन में हमारी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणालियों को फिर से संगठित करने और पुनर्जीवित करने की क्षमता है।”

उन्होंने कहा कि इससे केवल रोजगार में वृद्धि और बेरोजगारी कम करने में ही मदद नहीं मिलेगी, बल्कि एक नियोक्ता (एंप्लॉयर) के नजरिए से भी यह बेहतर कौशल और उत्पादकता में सहायक होगा।

बजट में घोषणाओं से संतुष्ट टैलेंटेज के सीईओ और एमडी आदित्य मलिक ने कहा, “केंद्रीय बजट 2021-22 ने देश में शिक्षा क्षेत्र के लिए कुछ अग्रगामी उपाय प्रस्तावित किए हैं।”

मलिक ने एनजीओ के साथ साझेदारी में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित करने के प्रस्ताव की भी सराहना की। उनका मानना है कि इससे क्षेत्र में स्कूल बेस का विस्तार होगा।

सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा, “यह बजट नीति के तहत पूरे भारत में 15,000 स्कूलों को लाने के पहले चरण के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चरणबद्ध कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करता है।”

निर्मल भरतिया स्कूल की प्रधानाचार्य चारु वाही ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लगभग एक साल से शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने से स्कूलों को अब वित्तीय समस्याओं का भी अहसास हुआ है। चारु ने 100 सैनिक स्कूलों की स्थापना को एक अच्छा कदम बताया और साथ ही 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना को भी बेहतरीन कदम बताया।

हालांकि अधिकांश शिक्षक वर्ग वित्तवर्ष 2021-22 की घोषणाओं से खुश हैं, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी उम्मीदों को पूरा नहीं किया जा सका है।

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