कच्चे माल की किल्लत के बीच बैटरी बाजार 2030 तक हो सकता है 168 अरब डॉलर के पार

कच्चे माल की किल्लत के बीच बैटरी बाजार 2030 तक हो सकता है 168 अरब डॉलर के पार

बैटरी उद्योग का राजस्व 2030 तक 168 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है, लेकिन उद्योग को 2025 से कच्चे माल की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।

डाटा एवं एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डाटा की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, लिथियम आयन बैटरी की बिक्री आई तेजी के दम पर बैटरी उद्योग 14 प्रतिशत की वार्षिक दर से आगे बढ़ेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लेकिन अगर पूंजी बाजार ने पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन के दबाव को देखकर अपना रास्ता नहीं बदला और नये खदानों में भारी निवेश नहीं किया तो कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को खदान, शोधन और बैटरी के उत्पादन से जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहन देना होगा।

कंपनी में काम करने वाले विश्लेषक डेनियल क्लार्क का कहना है कि अगले दशक के लिए बैटरी उद्योग के लिए मुख्य चुनौती यह है कि क्या बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों और लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और ग्रेफाइट जैसे कच्चे माल को निकाला जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बैटरी उत्पादन के लिए बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां खोली जा सकती हैं लेकिन उनके लिए कच्चा माल कहां से आयेगा। यह कच्चा माल सीमित है लेकिन यह दुर्लभ नहीं है। इसके लिए और निवेश की जरूरत है।

दूसरी बाधा आपूर्ति से संबंधित है। चीन लिथियम का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। चीन का एक तरह से इस क्षेत्र में एकाधिकार है।

रिपोर्ट में इस बार पर जोर दिया गया है कि बैटरी की रिसाइक्लिंग के साथ ही कच्चे माल के खनन और उसकी रिफाइनिंग पर सरकारों द्वारा प्रोत्साहन देना जरूरी है और तभी चीन के इस क्षेत्र पर एकाधिपत्य को खत्म किया जा सकेगा।

विश्लेषक माइकल ऑर्म का कहना है कि चीन आधारित बैटरी निर्माता सीएटीएल चीन के उद्योग जगत के मास्टर प्लान का हिस्सा है। यह वैश्विक बैटरी उद्योग पर अपना कब्जा चाहता है और साथ ही पूरे वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन परिदृश्य पर अपना प्रभुत्व चाहता है।

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