बंगाल में बीजेपी से कड़े संघर्ष के बाद बंगाल में ममता बनेंगी सीएम

बंगाल में बीजेपी से कड़े संघर्ष के बाद बंगाल में ममता बनेंगी सीएम

ज्योतिषाचार्य राम सियासन शास्त्री से एब्सल्यूट इंडिया की विशेष बातचीत

भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत के बारे में कई बार सटीक भविष्यवाणी कर चुके ज्योतिषाचार्य राम सियासन शास्त्री का कहना है कि कोरोना महामारी का प्रकोप अभी चरम पर नहीं पहुंचा है। आने वाले एक-दो माह में ये महामारी चरम सीमा तक पहुंच जाएगी। अगस्त-सितंबर तक कोरोना वायरस कमजोर पड़ जाएगा और फिर धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे। एब्सल्यूट इंडिया ने उनसे देश के हालातों, राजनीतिक घटनाक्रमों, पांच राज्यो में हो रहे विधानसभा चुनाव, किसान आंदोलन के अलावा कोरोना महामारी पर विस्तृत विशेष बातचीत की।  पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश :

पं. बंगाल में क्या राजनीतिक परिदृश्य बन रहा है और किस दल की सरकार बन सकती है?

— पं. बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच कड़ा संघर्ष है। ऐसे में यहां दो में से किसी की भी सरकार बन सकती है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर हम कह सकते हैं कि यहां टीएमसी एक बार फिर से सरकार बना लेगी। टीएमसी की सीटें पिछली बार की तुलना में काफी कम हो जाएंगी। बहुमत से दो-चार सीटें टीएमसी को ज्यादा मिलेंगी। वहीं, बीजेपी की सीटों में आशा के अनुरूप काफी बढ़ोत्तरी होगी।  कांग्रेस व वामपंथियों के गठबंधन को उम्मीद से कम सीटें मिलेंगी। दरअसल, टीएमसी की ममता बनर्जी की सिंह राशि है और प्रधानमंत्री मोदी की राशि वृश्चिक है। ममता बनर्जी को महिला फैक्टर का लाभ मिलता दिख रहा है।

– असम, केरल व तमिलनाडु में क्या राजनीतिक परिदृश्य बनेगा? कहां कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी?

— असम में बीजेपी अपने सहयोगी दलों के सहारे सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी। यहां मोदी फैक्टर काम कर जाएगा। तमिलनाडु में बीजेपी को कुछ खास सफलता नहीं मिलेगी। हालांकि पिछली बार की तुलना में बीजेपी का वोट परसेंटेज बढ़ेगा। इस कारण बीजेपी की सीटें भी बढ़ सकती हैं। तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन के सत्ता में आने के योग बन रहे हैं। केरल में एक बार फिर से वामपंथी सत्ता हासिल कर सकते हैं। यहां कांग्रेस भी अच्छी स्थिति में रहेगी। यहां बीजेपी का वोट प्रतिशत निश्चित रूप से बढ़ेगा।

कोरोना महामारी का प्रभाव दुनिया व देश पर कब तक रहेगा?

— देखिए, जितनी भी महामारी आती हैं, वे प्रकृति के कारण ही आती हैं और प्रकृति ही उनका निराकरण करता है। फिर भी ज्योतिषीय गणना के मुताबिक कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी चरम पर नहीं पहुंची है। एक-दो माह के दौरान इसका विकराल रूप देखने को मिल सकता है।  अगस्त-सितंबर तक कोरोना से भारत के अलावा दुनिया को राहत मिलने के संकेत हैं।

-किसान आंदोलन कब तक चलेगा? क्या सरकार व किसानों के बीच सहमति बनेगी? इस आंदोलन की परिणति क्या होगी ?

— यह बहुत गंभीर प्रश्न है। किसान आंदोलन लंबा चलेगा। सरकार व किसानों के बीच गतिरोध बना रहेगा। बीच-बीच में किसान अपनी मांगों को लेकर उग्र होते रहेंगे। सरकार व किसानों के बीच सुलह की उम्मीद कम है।

किसान आंदोलन से बीजेपी को नुकसान हो सकता है ? आगामी यूपी निकाय चुनाव में किसान फैक्टर कितना काम करेगा?

— किसान वर्ग बीजेपी से नाराज है। स्वाभाविक रूप से बीजेपी के लिए यह समस्या है। निकाय चुनाव में बीजेपी को कुछ घाटा हो सकता है। लेकिन ज्योतिषीय गणना कहती है कि बीजेपी किसानों को मैनेज कर लेगी। नुकसान की भरपाई बीजेपी धार्मिक मुद्दे उठाकर पूरा कर लेगी।

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को लेकर लगातार कयासबाजी लगती रहती है कि यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी। बीजेपी यहां सत्ता में आने को बेकरार है। ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत के बारे में आपका क्या अनुमान है?

— महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े दिग्गजों से मेरा संपर्क निरंतर बना रहता है। वहां के सभी बड़े दलों के नेताओं की जन्मपत्री का अध्ययन मैंने किया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि उद्धव सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी।  महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव के योग हैं। इसके बाद यहां बीजेपी सरकार बना सकती है।

मध्यप्रदेश की सियासत में अक्सर ये चर्चा होती है कि अब सीएम शिवराज यहां काफी लंबी पारी खेल चुके हैं। शिवराज केंद्र की राजनीति में जाएंगे और किसी नए चेहरे को प्रदेश की कामन सौंपी जा सकती है। इसके कितने आसार बन रहे हैं?

— वर्ष 2018 के विधानसबा चुनाव के दौरान मैंने सीएम शिवराज से भेंटकर उनकी जन्मपत्री देखकर बताया था कि कुछ समय के लिए आपका राजयोग ठीक नहीं चलेगा। मतलब कुछ माह तक आप मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रहेंगे। आपकी कुंडली में राजयोग फिर मजबूत होगा और एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे। और देखिए हुआ भी वैसा ही। इससे पहले स्व. बाबूलाल गौर के बारे में भी मैंने उनसे मिलकर बताया था कि उमाभारती के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आप इस कुर्सी पर बैठेंगे। उस समय गौर साहब ने मेरी बात को हल्के लिया था और बोले थे कि ऐसा कोई अवसर नहीं मिलने वाला। लेकिन जब गौर साहब ने मुख्यमंत्री पद संभाला तो कुछ दिन बाद फोन पर मु­ासे बात की।

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