‘जलवायु परिवर्तन से निपटना वैश्विक सहयोग के लिए एक अवसर है’

‘जलवायु परिवर्तन से निपटना वैश्विक सहयोग के लिए एक अवसर है’

बीजिंग, | जलवायु परिवर्तन एक या दो देशों के लिए समस्या नहीं है, बल्कि एक वैश्विक मुद्दा है, जिसमें बिना किसी देरी के सभी मानव समाज के संयुक्त कार्यो की आवश्यकता है। ऐसा करने से व्यापक वैश्विक सहयोग के अवसर भी प्राप्त होंगे, जिसकी इस समय सख्त जरूरत है, जब दुनिया बढ़ती वैश्वीकरण विरोधी भावना, लोकलुभावनवाद, एकतरफावाद और संरक्षणवाद के खतरों का सामना कर रही है। इसी महीने की 22 तारीख को जलवायु परिवर्तन पर एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन हुआ, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मानव और प्रकृति के लिए जीवन का एक समुदाय बनाने पर छह-सूत्री प्रस्ताव दिया, जिसमें हरित विकास, प्रणालीगत शासन, और सामान्य सिद्धांत शामिल हैं।

यह प्रस्ताव एक नए मानव-प्रकृति संबंध को बढ़ावा देने के लिए चीन की खोज को दर्शाता है, जहां वे सद्भाव में समृद्ध और जीवित रह सकते हैं।

दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश के रूप में, चीन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उच्च प्राथमिकता दी है। पिछले साल सितंबर में, चीन ने घोषणा की कि वह 2030 से पहले कार्बन उत्सर्जन के शिखर तक पहुंच जाएगा और 2060 से पहले कार्बन तटस्थता प्राप्त कर लेगा।

हालांकि, इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए असाधारण रूप से कठिन प्रयासों की आवश्यकता होगी, लेकिन चीन अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए ठोस कार्रवाई करने के प्रति दृढ़ है।

इस बीच, विकसित देशों को ठोस प्रयासों में मदद करनी चाहिए, ताकि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी क्षमता और लचीलापन बढ़ाने में मदद मिल सके और हरित व्यापार अवरोध पैदा करने से बचना चाहिए।

हाल ही में, चीन और अमेरिका ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें जलवायु संकट से निपटने के लिए एक-दूसरे के साथ और अन्य देशों के साथ सहयोग करने की कोशिश की गई।

दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन की प्रतिक्रिया में एक बार फलदायी सहयोग किया है। जैसा कि पिछले अमेरिकी प्रशासन ने अपने जलवायु कार्यो में एक बड़ा कदम पीछे हटाया था, अब वाशिंगटन के लिए पिछले चार वर्षो में बनाई गई खाई को भरने और दुनिया को आश्वस्त करने का समय है कि वह जलवायु परिवर्तन के प्रति गंभीर है।

देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक-दूसरे पर उंगलियां उठाने के बजाय हाथ मिलाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन एक भू-राजनीतिक सौदेबाजी चिप नहीं होनी चाहिए, जो कि अन्य देशों पर हमला करने का एक उपकरण या व्यापार बाधाओं को रोड़ा बनाया जाए। किसी भी देश को दूसरों से द्विपक्षीय और वैश्विक मामलों में उनके समर्थन की पेशकश करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, अगर यह दूसरों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करता है और उनके हितों को कमजोर करता है।

जब तक देश अपने उद्देश्यों और प्रयासों में एकजुट रहेंगे और एकजुटता व आपसी सहायता के साथ काम करते रहेंगे, दुनिया वैश्विक जलवायु और पर्यावरणीय चुनौतियों से ऊपर उठ जाएगी और भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुंदर दुनिया को पीछे छोड़ देगी।

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