सियासी वायरस

सियासी वायरस


—एब्सल्यूट कमेंट …
गोपाल स्वरूप वाजपेयी

मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण फिर से बढ़ने लगा है। इंदौर और भोपाल में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इंदौर में कोरोना का नया वैरियंट मिला है। जबलपुर व ग्वालियर में भी हालात बिगड़ रहे हंै। राज्य में शनिवार को 467 नए संक्रमितों की पहचान हुई। दो की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 64 हजार 214 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। 3868 मरीजों की मौत हो चुकी है। तेजी से फैलते संक्रमण वाला मध्यमप्रदेश छठा राज्य बन गया है। प्रदेश में बीते 5 दिन में कोरोना के 1981 मरीज बढ़े हैं। कोरोना टेस्ट की संख्या आधी होने के बाद ये स्थिति है। मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री नाइट कर्फ्यू लगाने की दुहाई दे रहे हैं। ये तस्वीर बयां कर रही है कि राज्य में हालात फिर से गंभीर होने लगे हैं। ऐसे में हमें कोरोना वायरस को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन जागरूकता व सख्ती से करने की जरूरत है। राज्य सरकार के नुमाइंदे मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दे रहे हैं, लेकिन यह नसीहत सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है। इनकी गतिविधियों को देखकर सहज ही कहा जा सकता है कि इनके मन, कर्म और वचन में भारी विरोधाभास है। मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रोजाना भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं, जहां अधिकांश लोग न मास्क लगाते हैं और न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं। जब सत्ताधारी दल के जिम्मेदार लोग गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करेंगे तो विपक्षी दल कांग्रेस से उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। मालवा क्षेत्र में किसान चौपाल के नाम पर कांग्रेस के दिग्गज कोरोना वायरस को मुंह चिढ़ा रहे हैं। सत्ता का दंभ इसी को कहते हैं कि एक तरफ इंदौर कलेक्टर ने सभी बड़े आयोजन की अनुमति निरस्त कर दी। बावजूद इसके नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ, जिसमें भारी भीड़ जुटी। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं। इसके एक दिन पहले इंदौर से सटे सांवेर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी में रैली निकाली गई। रैली व स्वागत के दौरान भीड़ देखकर ऐसा लगा कि भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के जोश व हठधर्मिता के सामने कोरोना वायरस शर्म से पानी-पानी हो जाएगा। उधर, जबलपुर में मुख्यमंत्री ने जनचौपाल लगाई। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी कोरोना वायरस को चुनौती दी गई। ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस व सियासी वायरस के बीच होड़ लगी है। होड़ा का नतीजा भी दिखा। सियासत के कई दिग्गज कोरोना की चपेट में आए, क्वारंटीन रहे, अस्पताल में भर्ती रहे। स्वस्थ हुए और फिर सियासी वायरस की चपेट में आ गए। याद करें कोरोना के आगाज से लेकर चरम पर रहने के दौरान भाजपा नेताओं ने किस कदर भीड़ जुटाई। कांग्रेस ने भी यही किया, लेकिन तुलनात्मक कम। पूरा एक साल हो रहा है। इस दौरान धड़ाधड़ रैली, कार्यकर्ता सम्मेलन हुए। एक भी जगह गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। कोरोना की दहशत के बीच विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए न जनता के स्वास्थ्य की फिक्र की गई और न अपनी। अब निकाय चुनाव सिर पर हैं। कभी भी चुनाव शेड्यूल जारी हो सकता है। रैली, जुलूस, मीटिंग, सम्मेलन की बाढ़ आने वाली है। जब तक निकाय चुनाव नहीं हो जाते, कोरोना वायरस पर सियासी वायरस भारी रहेगा। क्योंकि चुनाव में जो निर्णायक मतदाता होता है, वह सियासी मृगमरीचिका के फेर में धोखा खाने को अभिशप्त है। … तो तैयार रहिए निकाय चुनाव परिणाम के बाद कोरोना दहशत के बीच नाइट कर्फ्यू, लॉकडाउन के लिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

English Website